जोर शोर से शुरू किया गया पर्यटन स्थल विवादों के घेरे में ।
ठेकेदार ने काम तो करवा लिया लेकिन काम करने वाले को पैसा नहीं दिया ।
कारिगर ने कहा आर्थिक रूप से परेशान हूं खाने को पैसे भी नहीं ।
दबंग न्यूज लाईव
मंगलवार 25.04.2023
करगीरोड कोटा – घोंघा जलाशय में चार दिन पूर्व ही पूरे तामझाम के साथ जल विहार और ईको टूरिज्म का लोकार्पण किया गया । इस अवसर पर यहां की छटा देखते ही बनती थी । खुबसूरत रंग रोगन से सजे द्वार , द्वार के उपर राष्ट्रीय पक्षी मोर , गेट के पिल्लहरों पर फूल पत्तियों की बनावट ये सारीे कारीगरी लोगों को आकर्षित करने के लिए काफी है ।
लोग यहां आते हैंं तो पहले इस गेट को निहारते हैं यहां के चटक रंगों के सामने फोटो खिंचवाते हैं । लेकिन इस खुबसूरत चटक रंगों के द्वार के पीछे की काली सच्चाई ये है कि इसे बनाने वाले कारीगर के सामने भूखे मरने की नौबत आ गई है ।
इस खुबसूरत द्वार को बनाने वाले कारीगर का नाम है सोनू मेहरा । सोनू मध्यप्रदेश के बीना का रहने वाला है और यहां का काम कर रहा है । सोनू को ही इस पर्यटन स्थल को बनाने का काम विभाग से ठेका मिलने वाली कंपनी ने दिया गया था ।
सोनू का कहना है कि “एक लाख चौतिस हजार रूपए में वर्जन कांस्पेट कंपनी ने उसे द्वार बनाने का ठेका दिया था । यहां के लिए मटेरियल भी उसी ने लाया है । तय राशि में से सिर्फ चौतिस हजार रूपए ही उसे मिले हैं बाकी एक लाख रूपए कंपनी के द्वारा नहीं दिया जा रहा है । मांगने पर आज कल करते रहते हैं । रूपए नहीं मिलने से मेरी आर्थिक स्थिति काफी खराब हो गई है । घर में खाने का अनाज तक नहीं है यदि मेरा रूका पैसा जल्द नहीं मिला तो मेरे सामने मरने के अलावा कोई और रास्ता नहीं है ।”
ठेका कंपनी की हंसा शर्मा से जब इस पूरे मामले में जानकारी ली गई तो उनका कहना था – उनसे काम करवाया गया है और पैसे भी दिए गए हैं लेकिन अभी वहां कई काम बाकी है जिनका जगह डिसाईड नहीं हुआ है ऐसे में कैसे काम आगे करवाया जाएगा । जैसे ही लोकेशन डिसाईड होगा काम होगा और पेमेंट भी होगा । उनको समय समय पर पैसे दिया गया ।
इस संबंध में बिलासपुर वन मंडल के डीएफओ कुमार निशांत से जानकारी ली गई तो उनका कहना था – हमने ठेका कंपनी को काम दिया था उनके और कारीगर के बीच क्या बात हुई इसकी हमें जानकारी नहीं है । फिर भी इस मामले में संज्ञान लिया जाएगा और ठेका कंपनी से बात करके जो भी भुगतान होगा उसे दिलवाया जाएगा ।