कोटा सांई हास्पिटल में अव्यवस्था आर्थो के डाक्टर नहीं फिर भी कर देते हैं एक्सरे और प्लास्टर ।
आठ सौ रूपए में एक्स रे लेकिन एक्स रे रिपोर्ट देने के लिए इनव्हेलप तक नहीं ।
दबंग न्यूज लाईव
25.09.2023
कोटा – कोटा पिछले कई माह से सांई हास्पिटल के नाम से एक हास्पिटल चल रहा है । जब ये हास्पिटल खुला तो लगा कि कोटा के स्वास्थ्य सेवाओं में कुछ बढ़ोत्तरी होगी और ग्रामीण क्षेत्र के मरीजों को बिलासपुर तक जाना नहीं पड़ेगा और यहीं उन्हें कुछ बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त हो जाएंगी । लेकिन समय के साथ ही इस हास्पिटल की अव्यवस्थाओं की खबरें सामने आने लगी है ।
इस हास्पिटल में आर्थो के डाक्टर ही नहीं है लेकिन यहां के लोग एक्स रे लेते हैं और ईलाज भी बताते हैं हद तो ये हो गई है कि एक्स रे करने के बाद एक्स फिल्म देने के लिए इनके पास इनव्हेलप भी नहीं होता और एक्स रे को ऐसे ही खुला दे दिया जाता है ।
दो दिन पहले ही शहर के वरिष्ठ पत्रकार आर डी गुप्ता ने अपने फैमिली के एक सदस्य को जिनके एड़ी मे मोच आ गई थी उसे यहां दिखाने ले गए लेकिन यहां पहुंच कर उन्होंने जो कुछ महसुस किया वो इस हास्पिटल की स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता के स्तर को बताने के लिए काफी है ।
दबंग न्यूज लाईव से बात करते हुए आर डी गुप्ता ने बताया कि – जब वे अपनी पुत्र वधु को यहां एक्स रे करवाने ले गए तो सबसे पहले ओपीडी फीस के रूप में उनसे 200 रू जमा करवाए गए बाद में एड़ी के एक्स रे के फीस रूपए में आठ सौ रूपए लिए गए । इसके बाद भी एक्स रे रिपोर्ट दो दिन बाद दिया गया । यहां मौजूद एक महिला डाक्टर ने एक्स रे देखा और बताया कि लिगामेंट खिसक गया है अपनी जगह जिसमें प्लास्टर करना पड़ेगा जबकि वो स्वयं भी आर्थो की डाक्टर नहीं है । यहां तक कि एक्स रे मशीन को आपरेट करने के लिए आपरेटर भी नहीं है और यहां कोई आर्थो का डाक्टर भी नहीं है हास्पिटल में मौजूद महिला डाक्टर का कहना था मैं आर्थो की डाक्टर तो नहीं हूं लेकिन प्लास्टर कर दूंगी आज तक फेल नहीं हुआ है ।
इस पूरे मामले में जब सांई हास्पिटल के नम्बर पर काल किया गया तो डाक्टर रौनक सिंह से बात हुई तो उनका कहना था – एक एमबीबीएस डाक्टर सभी टाईप के मरीज देखतें हैं और यदि उन्हें लगता है तो कि स्थिति गंभीर है तो फिर उन्हें स्पेशलिस्ट से दिखाया जाता है । जब उनसे ये पूछा गया कि क्या मैडम एमबीबीएस है तो उनका कहना था वो फैमिली फिजिशियन हैं और वो प्लास्टर कर देतीं हैं हमारे यहां टेक्निशियन लोग हैं वो करते हैं ।
अब ये फैमिली फिजिशियन की कौन सी डिग्री है समझ से परे है ऐसे में समझा जा सकता है जब अस्पताल में इस तरह की व्यवस्था हो तो यहां मरीजों का कैसा ईलाज होता होगा और कितनी राहत मिलती होंगी । उच्च अधिकारियों को इस अस्पताल का दौरा मुआयना करके स्थिति को सुधारने की दिशा में ठोस कार्यवाही करनी चाहिए जिससे लोगों को बेहतर ईलाज मुहैया हो सके ।
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