ATR टाइगर रिजर्व में ये मीट था या फिर एडवेंचर टूर..!
सुरक्षा मानकों को धत्ता बताते हुए लगभग 130 लोगों का पैदल दल कोर जोन में तितली खोजता रहा ।
दबंग न्यूज लाईव
गुरूवार 08.12.2022
बिलासपुर – देश भर में टाइगर रिजर्व के कुछ नियम ,कायदे और कानून हैं जिनका पालन आम पर्यटकों के साथ ही वहां के अधिकारियों को भी करना होता है लेकिन अचानकमार टाइगर रिजर्व में ऐसा कुछ नियम काम नहीं करता हो सकता है यहां के अधिकारी भी ये जानते हो कि यहां ये सब नियमों की कोई जरूरत ही नहीं है क्योंकि यहां खतरा कम है या है ही नहीं ।
छतीसगढ़ के अचानकमार टाइगर रिजर्व में 2 दिसम्बर से 4 दिसम्बर तक बटरफ्लाई मीट में 100 से अधिक प्रतिभागियों ने शिकरत की,जिसमें विवि के छात्र से लेकर अन्य प्रांतों से पहुंचे जैवविविधता प्रेमी शुमार रहे।सभी मेजबानों और अन्य जनों को शामिल कर कहा जा सकता है 130 व्यक्ति यहां टाइगर रिजर्व के कोर जोन में मौजूद रहे और बटरफ्लाई की 97 किस्में मिलने का दावा किया गया है।
टचानकमार टाइगर रिजर्व में कथित तौर पर सफलता पूर्वक मीट समाप्ति के बाद यह विचारणीय प्रश्न उठता है कि एक संवेदनशील कोर एरिया में इतने अधिक लोगों, अनुभवहीन गाइड और कतिपय विशेषज्ञ की उपस्थित कितनी उचित है ? यह सब अब विचारणीय है , ये विचार अचानकमार प्रबंधन को पहले भी कर लेना था , लेकिन इतनी जहमत उठाए कौन ।
सवाल ये भी उठता है कि अचानकमार के कोर एरिया में जाने वाले लोगों में कितने जानकार ऐसे रहे होंगे जो दस तितली को भी पहचान कर उनके नाम और उनके व्यवहार को लिख सकते थे। बेहतर यह होता कि कुछ जानकारों को ही कोर एरिया में सर्वे के लिए आमंत्रित कर खामोशी से इस काम का निष्पादित किया जाता । वैसे भी ठंड में तितली कम दिखती हैं। इसलिए जो जानकार नहीं उनको पहले कहीं और ट्रेंनिग दी जाती , जब वह सीख जाते तथा तितली की प्रजाति और उनके व्यवहार को समझ जाते तब ही उन्हें तितली की किस्में खोजने के लिए आमंत्रित किया जाता ।
जिस कोर इलाके में सफारी के दौरान जिप्सी से उतरना भी प्रतिबंधित और खतरे से खालीं न माना जाता हो उस जंगल में पैदल चल कर नए छात्रों को ले जाना कितना उचित होगा ? अच्छा है कोई अनहोनी नहीं हुई नहीं तो सब पर दाग लग जाता ? जबकि यहां गाहे बगाहे टाइगर की मौजूदगी के प्रमाण भी मिलते रहे हैं ।
अच्छा होता यदि अधिकारी इन तीन दिनों में इतने सारे लोगों के पैदल भ्र्रमण के बाद जब 97 प्रजाति तितलियों की बता रहे तो ये भी बताते कि इन तीन दिनों में तितली के अलावा और कितने वन्य जीव और टाइगर देखने को मिले । या खोजी दलों को सिर्फ एक ही लक्ष्य दिया गया था कि तितली के अलावा और किसी वन्यजीवों पर ध्यान नहीं देना है ।
इस तरह के मीट को किसी एडवेंचर टूर का रूप देंना कितना उचित रहा। इस पर आयोजको को चिंतन करना जरूरी है।
(खबर आभार – कुछ संशोधन के बाद छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ पत्रकार और वाईल्ड लाईफ बोर्ड के सदस्य रह चुके आदरणीय प्राण चडढा जी की वाल से )
फोटो – शोसल मीडिया से साभार ।