सूरजपूर की बाघिन ,,आदमखोर क्यों हुई ?
कई घंटे की मशक्कत के बाद आई हाथ , क्या लाया जाएगा कानन ।

दबंग न्यूज लाईव
मंगलवार 28.07.2023
बिलासपुर – सूरजपुर के ओड़गी विकासखंड में पिछले कुछ दिनों से एक बाघिन का आतंक पसर गया था । इस बाघिन ने तीन ग्रामीणों पर हमला कर दिया था जिसमें दो व्यक्ति की मौत हो गई थी जबकि एक गंभीर रूप से घायल हो गया था । बाघिन के इस आंतक ने आस पास के क्षेत्र में रहने वाले लोगों के साथ ही पूरे प्रशासन की भी निंद उड़ा दी थी ।
दो दिन से प्रशासन इस खतरनाक हो चुकी बाघिन को काबू में करने के उपाय कर रहा था । लोगों ने इस बाघिन को खेत और गांव के करीब मुवमेंट करते हुए देखा था । ये समय कुदुरगढ़ में मेले का भी है ऐसे में पूरे मेले में बाघिन की दहशत व्याप्त हो गई थी ।
जिला प्रशासन ने आज बाघिन को काबू में करने के लिए एक्सपर्ट की एक टीम तैयार की और कुमकी नाम की एक हथनी की मदद ली । पुरी तैयारी होने के बाद वन विभाग की टीम ने बाघिन को काबू में करने की प्रक्रिया शुरू कर दी । कुमकी और टीम के प्रयास से इस खतरनाक हो चुकी बाघिन को सही सलामत पिंजड़े में कैद कर लिया गया और पुरे प्रशासन के साथ ही ग्रामीणों ने चैन की सांस ली ।
जानकारी के मुताबिक अब इस बाघिन को सुरक्षित स्थान पर ले जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है । सूत्रों के मुताबिक बाघिन को बिलासपुर जिले के कानन में लाने की योजना बनाई जा रही है । ये भी जानकारी सामने आ रही है कि बाघिन गर्भवती है ।
ऐसे में वन विभाग के सामने सबसे बड़ी चुनौति ये है कि बाघिन सुरक्षित ढंग से बेहतर जगह ले जाया जाए । वैसे अधिकारी इस बाघिन को कानन की बजाए उसी के जंगल में भी छोड़ सकते हैं जहां की ये टाईग्रेस होगी । वैसे भी यहां एक टाइगर रिजर्व है और हो सकता है ये टाइग्रेस वहीं से बाहर आ गई हो । ऐसे में इसे किसे जू के पिंजरे में रखने से अच्छा यही होगा कि इसका पूरा स्वास्थ्य परीक्षण करने के बाद इसे टाईगर रिजर्व में ही छोड़ा जाए ।
सवाल ये उठता है कि आखिर वन्य जीव हिंसक क्यों हो जाते हैं ? और ये बाघिन भी क्यों हिंसक हुई ? यदि इस सवाल का गहराई से उत्तर ढूंढा जाए तो इसके पीछे इंसान ही है । जिस प्रकार से जंगलों को और वन्य जीवों के रहवास को खतम किया जा रहा है और पूरे जंगल उजाड़े जा रहे हैं उसने इन वन्य जीवों को बचे खुचे जंगलों से निकलने पर मजबूर कर दिया है ।
जंगल से भोजन और पानी की तलाश में ये जीव बाहर निकलकर आबादी वाले क्षेत्र में आ जाते हैं और फिर इंसानों से इनकी मुठभेड़ हो जाती है । यदि इंसान और वन्य जीवों की टकराहट रोकनी है तो जंगल और इनके रहवास को बचाने की जिम्मेदारी इंसानों पर ही है ।
देखना होगा आखिर ये टाईग्रेस अब कितने दिन पिंजरे में कैद रहती है और इसका भविष्य क्या होगा ।