प्रदेश में पत्रकारों को काम करना आसान नहीं , हर जगह हो रही दिक्कत ।
दबंग न्यूज लाईव
शुक्रवार 19.02.2021
बिलासपुर – प्रदेश में अब पत्रकारिता करना आसान नहीं है । प्रदेश के हर हिस्से से पत्रकारों को प्रतांडित करने , झुठे आरोपों में फंसाने तथा उनके साथ मार पीट की घटनाएं आम हो गई है । पत्रकार यदि सच दिखा दे ,लिख दे तो भ्रष्ट लोगों को ये हजम नहीं होता । सूरजपुर के पत्रकार चंद्र प्रकाश साहू के द्वारा जिले में धान की अफरातफरी के मामले को उजागर करने वाली अपनी निर्भीक पत्रकारिता की वजह से वे रंजिश का शिकार हुए हैं । प्राप्त जानकारी के अनुसार 16 फरवरी को भी वह बारिश से भीग रहे धान की रिपोर्टिंग करने के लिए आदिम जाति सेवा सहकारी समिति गए थे ,जहाँ उनकी खबरों से रंजिश रख रहे समिति के प्रबंधक मोहन राजवाड़े ने पत्रकार चंद्रप्रकाश पर गुंडों से हमला करवा कर उन्हें घायल कर दिया ! हमला होने के 24 घंटे बाद तक बचाव का खेल चलता रहा !
इस बीच मारपीट का वायरल वीडियो पीड़ित पत्रकार के लिए संजीवनी बनकर सामने आया । प्रदेश के पत्रकार हरकत में आये । पत्रकार पर हमला बर्दाश्त नही होगा .. पत्रकार एकता जिंदाबाद.. इस नारे को बुलंद कर … जिले के अलावा सरगुजा संभाग के पत्रकार एकजुट होकर आरोपियों की गिरफ्तारी को लेकर गुरुवार को थाना कोतवाली में लामबंद हुए तो जिले की पुलिस प्रशासन हरकत में आई और आरोपियों के विरुद्ध मामला दर्ज कर आनन- फानन गिरफ्तार किया और मुचलके पर छोड़ भी दिया ।
बीजापुर के पत्रकार गणेश मिश्रा और एक साथी पत्रकार को माओवादियों द्वारा पत्र जारी कर आमसभा कर जान से मारने की धमकी दिया जाना घोर निंदनीय कृत्य था । जिसके विरोध में बस्तर के पत्रकारों सहित राज्य के सभी कलमकार , समाजसेवी लामबद्ध होकर विरोध किया । संगठन का ही प्रतिफल था कि माओवादियों को झुकने पर मजबूर होना पड़ा और एक और पत्र जारी कर बातचीत से बीच का रास्ता निकालने की बात कही है ।
जब भी कोई पत्रकार भ्रष्टाचार के विरुद्ध रिपोर्टिंग करता है तो उसे धमकी चमकी या पहुँच के धौस की खुराख मिलना आम बात है। जैसे ही पत्रकार भ्रष्टाचारियो के घोटाले को जनता और शासन के सामने लाता है तो इन धमकियों में गुंडे शामिल हो जाते है । जो मानसिक प्रताड़ना देकर कलमवीरो पर हमले करते हैं। ऐसी घटनाएं छत्तीसगढ़ के पत्रकारों के लिए नियति बन चुकी है।
पत्रकार चंद्र प्रकाश साहू ने खुद पर हुए हमले के बारे में बताया कि धान की अफरातफरी के मामले को मैंने प्रमुखता से कवरेज किया है। इसी सिलसिले में 16 फरवरी को हुई बारिश की वजह से धान के भीगने की जानकारी मिलने पर वे कृषि उपज मंडी परिसर के आदिम जाति सेवा सहकारी समिति के संग्रहण केंद्र में रिपोर्टिंग करने गए थे। इस दौरान वहाँ उपस्थित समिति प्रबंधक मोहन राजवाड़े को मेरी रिपोर्टिंग करना नागवार गुजरा और उसने 15 से 20 गुंडों को बुला कर मेरे साथ मारपीट की है। कैमरा छीन लिया पाकिट से कुछ रुपये निकाल लिए। दो घंटे तक बंधक बना कर रखा। मुझे धान की छल्ली से नीचे फेकने वाले थे। वहाँ उपस्थित पत्रकार साथियों व स्थानीय ग्रामीणों ने बचाया है।