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वाह डाक्टर साहब , जब शहर में ये हाल तो गांव में क्या होगा ।

डाक्टरों ने खोली डाक्टर की पोल , होनी चाहिए गहराई से जांच क्या और भी ऐसे नमूने हैं शहर में ।

शहर में फर्जी कैंसर सर्जन बन करता रहा ईलाज

दबंग न्यूज लाईव
शुक्रवार 05.04.2024

बिलासपुर – धरती पर डॉक्टर को भगवान का दूसरा रूप माना जाता है , कई बार डॉक्टरों ने अपनी मेहनत और काबिलियत से जटिल से जटिल प्रकरण में सफलता पाई है और डॉक्टरी पेशे और डॉक्टर के प्रति मरीजों के मन में विश्वास को और प्रगाढ़ किया है । लेकिन इस धरती पर कई ऐसे डॉक्टर भी है जिन्होंने इस पेशे की विश्वसनीयता और भरोषे को तार तार किया है । मरीज एक डॉक्टर के पास अपना सबकुछ लेकर जाता है और कई बार ऐसे डाक्टर के चक्कर में सबकुछ लुटा भी आता है ।


बिलासपुर शहर में उस समय हडकंप मच गया जब बिलासपुर के सर्जन डाक्टरों की एसोशिएशन ने सीएमएचओ कार्यालय में एक शिकायत की । एसोशिएसन ने बिलासपुर के एक कैंसर सर्जन डा विवेक गहलोत पर गंभीर आरोप लगाते हुए उनके फर्जी सर्जन होने की बात कहते हुए कार्यवाही की मांग की । शिकायत काफी गंभीर थी इसलिए तत्काल एक्शन भी हुआ और एक जांच टीम डा विवेक गहलोत के हॉस्पिटल पहुंच गई ।


बिलासपुर के सकरी थाना क्षेत्र में कैंसर सर्जन के रूप में डा विवेक गहलोत गहलोत हॉस्पिटल खोलकर पिछले कई वर्षाे से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का ईलाज कर रहे थे । डा गहलोत अपनी प्रेक्टिस के साथ ही डाक्टर्स मीट और अन्य सेमिनार में भी शामिल होते रहे हैं । ऐसे ही एक सम्मेलन में जब शहर के सर्जनों ने डाक्टर गहलोत से बात करते हुए उनकी डिग्री और एजुकेशन के बारे में बात की तो उन्हें समझते देर नहीं लगी डा गहलोत वो नहीं है जो अपने आप को होना बता रहे हैं ।


बिलासपुर सर्जन एसोशिएशन ने डा गहलोत की बताई एम्स दिल्ली और एसएमएस हॉस्पिटल जयपुर में पतासाजी की, जिसमें पता चला की डॉक्टर विवेक गहलोत फर्जी है और उसने दोनों ही जगहों में सर्जन नही है और गहलोत पीछले कई सालो से कैंसर सर्जन का गहलोत हॉस्पिटल में बोर्ड लगाकर कैंसर जैसे गंभीर बीमारी से ग्रस्त मरीजों के साथ खिलवाड़ कर रहा है।


मजे की बात ये है कि जैसे ही ओरिजनल सर्जनों ने डा गहलोत से पूछताछ की उसके बाद से ही गहलोत साहब फरार हो गए । शहर के डॉक्टरों ने सर्जन एसोसिएशन की शिकायत पर सीएमएचओ कार्यालय की टीम ने गहलोत हॉस्पिटल का निरीक्षण किया, जहां हॉस्पिटल पीछले कई दिनों से बंद की स्थिति में पाया गया। बहरहाल सीएमएचओ का कहना है की MIC से जानकारी आने के बाद विवेक गहलोत पर दोषी पाए जाने पर एफआईआर दर्ज कराया जायेगा।

सर्जन एसो.के अध्यक्ष डा कमलेश मौर्या का कहना था – जिनके बारे में बात हो रही है वो अपने आप को सर्जन बताते रहे हैं और कई कार्यक्रम में उनसे मिलना जुलना होता रहा है जब उनसे डाक्टरी के बारे में बात होती थी तो कभी लगा नहीं कि कुछ गड़बड़ है लेकिन बाद में कुछ शंका होने लगी तो हमने उनसे डिग्री और अन्य डाक्यूमेंटस के बारे में पूछा लेकिन उन्होंने दिया नही तब हमें शक हुआ उसके बाद हमने सीएमएचओ सर से इस बारे में शिकायत करते हुए जांच की मांग की है ।

डा.कमलेश मौर्या ने ये भी कहा कि सामाजिक रूप से हम मिलते जुलते हैं इस पर हमें आपत्ति नहीं है लेकिन यदि वे वाकई सर्जन नहीं है और ये काम कर रहे हैं तो ये चिंता का विषय हो सकता है ।

इस पूरे मामले में कई सवाल और उठते है कि यदि डा गहलोत वाकई सर्जन नहीं है तो इतने सालों से कैसे प्रेक्टिस करते रहे ? क्या मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय से शहर और उसके आस पास के डाक्टरों के बारे में वेरिफिकेशन नहीं किया जाता ? ये तो भला हो कि डाक्टरों को शक हो गया और एक जांच बैठ रहीं है , मरीज कैसे किसी डाक्टर के बारे में पता कर पाएंगे कि जिनके पास वो भरोसे से जा रहे हैं वो असली डाक्टर है या नकली ? जब शहर में ये हाल है तो गांवों में क्या डाक्टरों का क्या हाल होगा ?

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