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कागज में तो नगर पालिका बना दोगे लेकिन जमीनी समस्या कैसे दूर करोगे ?

नगर पंचायत से नगर पालिका की ओर कदम बढ़ाता पंडरिया ।

नगर पालिका का अध्यक्ष पद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित ।

दबंग न्यूज लाईव
शनिवार 03.06.2023
राजेश श्रीवास्तव / लोकेश ठाकुर

पंडरिया – पंडरिया का प्राचिन इतिहास काफी समृद्धशाली रहा है समय के साथ पंडरिया नगर पंचायत का दायित्व संभालते रहा है लेकिन अब उसकी जिम्मेदारी और बढ़ रही है अब पंडरिया नगर पंचायत से एक कदम आगे नगर पालिका के रूप में अपना नया असतित्व बनाएगा । लेकिन पंडरिया की आत्मा से यदि ये पूछा जाए कि नगर पालिका का तमगा हासिल करके कैसा लग रहा है तो निश्चित ही वो कराह उठेगा और इस कराह के पीछे कारण होगा उसके सभी वार्डो में नल , जल, नाली बिजली , सड़क और साफ सफाई के जख्म ।


धीरे धीरे शहर बनने की ओर अग्रसर पंडरिया में अब नगरीय निकाय का चुनाव नगर पालिका के लिए लड़ा जाएगा ।
नगर के कुछ संगठनों द्वारा इस नगर को जिला बनाये जाने से लेकर रेलवे लाईन के पूर्व प्रस्तावित रूट को यथावत किये जाने जैसी मांग सरकार से की गई थी ..भेंट मुलाकात के एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के द्वारा पंडरिया को नगर पालिका बनाये जाने पर नगर वासियों को विकास की कुछ आशा जगी थी लेकिन हाल की घोषणा में इसके अध्यक्ष पद को अनुसूचित जाति हेतु आरक्षित कर दिए जाने से अन्य जाति वर्ग के अध्यक्ष बनने के सपने देखने वालों को दुख और अफसोस हो रहा है ..!


नगर पालिका के सीमा क्षेत्र में अब पंडरिया से लगे ग्राम पंचायत रौहा और मोतिमपुर को शामिल किया जाएगा जिसके दावा आपत्ति हेतु अधिसूचना जारी हो गई है .! इन दोनों ग्राम पंचायतों को मिला कर नगरपालिका हेतु आवश्यक जनसंख्या का मापदंड पूरा हो जाएगा .! पंडरिया से ही लगा हुआ ग्राम पंचायत मैनपुरा को भी नगरपालिका क्षेत्र में जोड़ने के कयास लगाए जा रहे थे ..राजनीतिक पंडितों का कथन है कि इसमें बहुत बड़ा गणित खेला गया है .!


वर्षाे से पंडरिया का नगर पंचायत एक ही ढर्रे पर चल रहा है .अब जबकि नगर पालिका अस्तित्व में आ रहा है इसके सामने नगर की अनेकों समस्याएं मुंह बाये खड़ी है ! अब तक यहां किसी भी प्रकार की नई योजनाएं नगर के विकास हेतु नही बनी है ! नगर में कोई भी सार्वजनिक उद्यान, सांस्कृतिक भवन, वाचनालय, खेल का मैदान,अथवा आमजन के मनोरंजन के कोई साधन नही है .!

निर्माण किये गए सार्वजनिक भवनों, प्रतीक्षा बस स्टैंड, प्रतीक्षालय, दुकाने काम्प्लेक्स, बाजार शेड आदि की हालत बदतर है .करोड़ो रुपयों की लागत से बने इन भवनों का कोई लोकार्पण या निविदा नही हुआ है जो आज कंडम हो चुका है । बस्ती से नए बाजार हेतु पहुंच मार्ग जर्जर है जिससे बारिश के दिनों में परेशानी बढ़ जाती है .! नगर के वार्ड 13 नयापारा के लिए पहुच मार्ग नही है ..जो है वह एक नाला है जिसमे बरसात और ठंड के दिनों में दलदल भरा रहता है ..जिसके कारण यह नगरीय क्षेत्र से सदा कट रहता है !


नगर के बस स्टैंड में पेयजल हेतु आमजन की सुविधा के लिए वर्षाे पहले दस लाख रुपये की लागत से वाटर ए. टी.एम. लगाया गया है जिसकी आज तक सुविधा आमजन को नही मिल पाया है !
कमजोर वर्गों के आर्थिक विकास की योजनाएं , मलिन बस्तियों में स्वास्थ्य सेवाएं, शहरी गरीबी खत्म करने की योजनाएं, शिक्षा व्यवस्था ,सांस्कृतिक और सौंदर्यीकरण की योजनाएं यहाँ नही है ..! आवारा पशुओं का समूचे नगर में व्याप्त आतंक को सहज ही देखा जा सकता है !


पुराने बाजार में सड़क किनारे अतिक्रमण और ग्रामीण व्यवसायियों द्वारा सड़क पर बोरे फट्टे में सब्जी भाजी का पसरा लगाए जाने के कारण प्रतिदिन गांधी चौक से महामाया मंदिर तक हर घण्टे जाम की स्थिति बनी रहती है ..!
श्मशान भूमि में अतिक्रमण और अव्यवस्था के कारण मृतक कर्म करने जाने वाले लोगो को अत्यंत परेशानी का सामना करना पड़ता है .! धूप बारिश और ठंड के दिनों में खुले में लोग शवदाह करते हैं श्मशान भूमियों में कोई शेड बाउंड्रीवाल अथवा पेयजल की व्यवस्था नही है !

इसी तरह बारिश के दिनों में अनेको वार्ड की गलियां नालियों की गंदगी से भर जाती है। नालियों का गंदा पानी सड़क पर बहने लगता है । सबसे बड़ी विडंबना यह है कि यहाँ किसी भी कार्य के निविदा को स्थानीय पार्षद ही ठेकेदार बन कर लेते हैं और गुणवत्ता हीन निर्माण करते हैं जिसमे कमीशन का भरपूर खेल होता है  !

फेहरिस्त बहुत लंबी है ..! लोग नए नगर पालिका से नगरीय विकास की आस लगाए बैठे हैं लेकिन इसके लिए प्रशासनिक मनोबल ,पारदर्शिता और ईमानदारी से कार्य करने की दरकार होगी जो कि हाल के कुछ वर्षों में संभव होना प्रतीत नही होता .!

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