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सात साल में धंस गई प्रधानमंत्री के नाम पर बनने वाली सड़क ।

मेंटेनेंस के दो साल बाद सड़क बन गई तालाब ।

दबंग न्यूज लाईव
गुरूवार 06.11.2025

कोटा /बेलगहना -कोटा विकासखंड में प्रधानमंत्रीजी के नाम से बनने वाली ग्राम सड़क योजना के तहत बनी सड़क सात साल भी नहीं चल पाई और इसके बीचों बीच तालाब बन गया पीएमजीएसवाय के अधिकारी अब चाहें तो इस तालाब को भी कोई नाम दे सकते हैं ।

कोटा विकासखंड में बिटकुली से करवा तक 2017-18 में लोगो के आवागमन के लिए प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना स्वीकृत हुई तो लोगों को लगा कि चलों अब कम से कम यातायात की सुविधा बेहतर हो जाएगी लेकिन उन्हें नहीं मालूम था का अधिकारी उन्हें सड़क मार्ग के साथ ही जलमार्ग की सुविधा देने वाले हैं । 2017-18 में स्वीकृत हुई इस सड़क की मेंटनेंस की अवधी 2023 में खतम हो गई तो फिर अब इसे देखे कौन ? यदि फिर से रिपेरिंग काम करवाना है तो उसके लिए रिनेवल इस्टीमेट देना होगा । मतलब करोड़ों की लागत से बनी ये सड़क अपने सात सालों के इतिहास में ही दफन होने वाली है ।

बिटकुली से टेंगनमाड़ा होते हुए करवा तक लगभग 5 किलोमीटर लंबी सड़क आज बदहाल हालत में है। जगह-जगह बने गड्ढों ने इस मार्ग को खतरनाक बना दिया है। मुख्यमार्ग से भीतर के पंचायतों को जोड़ने वाली यह सड़क पूरी तरह टूट चुकी है। बेलगहना स्टेशन के पास का एक गड्ढा अब छोटे तालाब जैसा बन गया है, जिसमें आसपास के गांवों का बरसाती पानी जमा हो रहा है। यह गड्ढा इतना गहरा है कि दोपहिया वाहन फिसलकर गिर रहे हैं और चारपहिया वाहन चालकों को दूसरी दिशा से घूमकर जाना पड़ता है।

स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि इस मार्ग से होकर आने-जाने वाली एम्बुलेंसें अक्सर बीच रास्ते में फँस जाती हैं। हाल ही में एक गर्भवती महिला को अस्पताल ले जाते समय एम्बुलेंस गड्ढे में फँस गई, जिससे उसे समय पर उपचार नहीं मिल सका। 

पीएमजेएसवाय के इंजिनियर प्रशांत मिश्रा से बात करने पर इस रोड का इतिहास समझ में आया । ये सड़क 2006 में स्वीकृत हुई फिर 2018 रिनेवल हुई जिसके बाद 2023 में इसका मेंटनेंस का साल खतम हो गया अब फिर से इसको ठीक ठाक करने के लिए बजट मांगा गया है । मतलब इस सड़क को ठीक ठाक रखने के लिए हर चार पांच साल में करोड़ों का बजट होना या ये कहें कि पीएमजेएसवाय में ऐसी सड़कों का निर्माण हो रहा है जो चार पांच साल भी टीक नहीं पा रही है ।

अनिल बरेठ (एसडीओ प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना) ने कहा –यह सड़क छह वर्ष पुरानी है, जिसकी मेंटेनेंस अवधि समाप्त हो चुकी है। हमारे पास एजेंसी नहीं है और न ही अलग से फंड्स उपलब्ध हैं। हमने प्रस्ताव रायपुर भेजा है और शासन से मंजूरी की प्रतीक्षा कर रहे हैं। फिलहाल तात्कालिक सुधार संभव नहीं है।”

बहरहाल अब इतना तो समझ आ रहा है कि नए भारत में नई सड़कों को हर चार पांच साल बाद रिनेवल करना पड़ता है या करोड़ों की सड़क के बेहतर निर्माण कराने या उसके इन सालों के बीच खराब हो जोने की जिम्मेदारी किसी की नहीं होती ।

 

 

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