सबसे उत्कृष्ट विधायक के विधानसभा क्षेत्र में पिछले सत्तर सालों से आदिवासी कर रहे बिजली का इंतजार ।

दबंग न्यूज लाईव
मंगलवार 05.08.2025
पंडरिया/कबीरधाम – आने वाले पंद्रह अगस्त को हम देश की आजादी का 79 पर्व मनाने वाले हैं ,आदिवासीयों के हितों को सर्वोपरी रखते हुए छत्तीसगढ को भी बने 25 साल हो रहे हैं ऐसे में यदि प्रदेश का कोई आदिवासी बाहुल्य ग्राम पंचायत बिजली जैसी मूलभूत सुविधा से वंचित हो तो सोचिए विडंबना कितनी बड़ी है और जिम्मेदार कितनी जिम्मेदारी से अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं ।

मामला है कबीरधाम जिले के पंडरिया विकासखंड के खालिस आदिवासी ग्राम पंचायत छिंदीडीह का । यहां सब बैगा आदिवासी ही रहते हैं और पिछले कई सालों से अपने ग्राम पंचायत में बिजली की बाट जोह रहे हैं । ऐसा नहीं है कि यहां के लोगों ने कहीं आवेदन निवेदन नहीं किया है लेकिन अपने यहां कागज पत्तर तो आते और जाते रहते हैं ऐसे में इनके कागज भी यहां से वहां चले गए लेकिन बिजली रानी इनके गांव तक नहीं पहुंची ।

यहां के आदिवासी जिम्मेदारों को तभी याद आते हैं जब किसी बड़े नेता मंत्री के स्वागत में इनके आदिवासी नृत्य की आवश्यकता होती है । इनके चमकते दमकते संस्कृति के पीछे कितना अंधेरा है ये जिम्मेदारों ने कभी नहीं देखा ।
छिंदीडीह ग्राम पंचायत के एक किमी दूर दिवानपटपर में लाईट आ चुकी है लेकिन यहां से एक किमी से भी कम दूरी के गांव छिंदीडीह पहुंचने में क्यों इतनी देरी हो रही है समझ से परे है । ग्राम पंचायत में जितने भी सरपंच हुए उन्होंने अपनी तरफ से हर संभव प्रयास किया कि उनके ग्राम में बिजली आ जाए तो उनकी जिंदगी थोड़ी सरल हो बच्चों की पढ़ाई और पेयजल की व्यवस्था हो जाए लेकिन दिक्कत ये है कि ये हर बार जिला मुख्यालय या ब्लाक मुख्यालाय तो जा नहीं सकते ऐसे में साल छह माह में दिए आवेदन रद्दी की टोकरी में चले जाते हैं ।
इस पूरे मामले में एई मनीष अग्रवाल का कहना था कि – “छिंदीडीह ग्राम पंचायत चूंकि क्रेडा का गोद लिया गांव है और यहां अक्षय उर्जा से ही बिजली सप्लाई होनी है ऐसे में हम वहां तब तक कुछ नहीं कर सकते जब तक कि उपर से अनुमोदन ना हो । विधायक मैडम ने भी विधानसभा में इस मुद्दे को उठाया था उसके बाद हमने सर्वे करा कर अपने उच्च कार्यालय को छह माह पूर्व ही भेज दिया है जब तक उपर से अनुमोदन नहीं आ जाता है हमारे हाथ में कुछ नहीं है ।”
विधानसभा में सवाल उठने और सर्वे प्रपोजल को छह माह से भी ज्यादा समय होने के बाद भी उच्च अधिकारियों ने अभी तक इस गांव के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है तो समझा जा सकता है कि गांव के लोगों के दिए आवेदनों पर अधिकारी कितना ध्यान देते हैं ।
दंबग न्यूज लाईव ने आदिवासियों की इस समस्या पर काफी पहले भी एक खबर प्रकाशित की थी लेकिन जैसे इन मजबूर आदिवासीयों के आवेदन पर ध्यान नहीं जाता वैसे ही जनहित की खबरों पर भी जिम्मेदारों की नजर नहीं जाती है ।



