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रेत घाट पंचायत की लेकिन चला रहे ठेकेदार , लाखों की रायल्टी चोरी ।

सचिव ने कहा मुझे कुछ नहीं पता ठेकेदार करा रहे सारे काम ।

दबंग न्यूज लाईव
रविवार 05.04.2025

करगीरोड कोटा – कोटा विकासखंड से बहने वाली अरपा नदी से रेत निकालने का खेल सालों से चल रहा है नतीजा ये हेै कि नदी की रेत खतम होते जा रही है जिसके कारण जीवन दायनी अरपा कई जगहों पर सुख चुकी है और जल स्तर काफी नीचे चले जा रहा है । रेत घाटों में ना सरकार के नियम काम आते हैं और ना सरकार के माईनिंग के अधिकारी ही जाते हैं मतलब रेत घाट पर रेत निकालने वालों की मनमानी चलती है । जो घाट मैनुअल है वहां भी पोकलेण्ड और जेसीबी से खुदाई होती है जो रेत के साथ नदी के पानी को भी निकाल देता है ।

कोटा विकासखंड के ग्राम पंचायत करहीकछार का रेतघाट वैसे तो पंचायत को स्वीकृत है लेकिन सचिव की मानें तो यहां का सारा काम ठेकेदारों के द्वारा होता है । पर्ची काटने से लेकर वसुली तक ठेकेदार के आदमी करते हैं । इस घाट से पर्ची भी नाममात्र की कटती है सारा काम लूज में होता है और उसका पैसा सीधे ठेकेदार की जेब में जाता है ।
ग्राम पंचायत के सचिव का इस बारे में कहना था कि मुझे रेत घाट के बारे में कुछ पता नहीं है सारा काम ठेकेदार के द्वारा होता है ।

सवाल ये उठता है कि माईनिंग के अधिकारी क्या करते हैं ? क्या उन्हें इस रेत घाट पर हो रहे अवैध वसुली और अवैध संचालन की जानकारी नहीं है ? यदि नहीं है तो क्यों नहीं है ? क्या अधिकारी रेत घाट तक नहीं जाते ? और यदि है तो फिर कार्यवाही क्यों नहीं करते ? मैन्यूअल घाट पर कैसे मशीनों से खनन और लोडिंग का काम होता है ? ऐसे कई सवाल हैं जिनके जवाब अधिकारियों को देने चाहिए लेकिन वे इनसे बचते हैं ।

रेत घाट पर रायल्टी पर्ची भी ट्रेक्टर वालों को आठ सौ और हाईवा को साढ़े सात हजार से आठ हजार की पड़ती है जबकि लूज में ट्रेक्टर वाले तीन सौ रूपए देकर और हाईवा वाले दो से तीन हजार रूपए देकर आराम से रेत ले जाते हैं । घाट पर मौजूद एक कर्मचारी का कहना था कि रायल्टी पर्ची अपने कुछ खास लोगों के लिए रखते हैं ।

इस पूरे मामले मे खनिज अधिकारी रमाकांत सोनी का कहना था – “रेत घाट पंचायत को दी गई है इसलिए वहां की जिम्मेदारी पंचायत को है यदि बाहरी लोग घाट का संचालन कर रहे हैं तो इसकी जानकारी ली जाएगी ।”

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