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जल जीवन मिशन की हालत नल से निकलते हवा के गुब्बारे की तरह ।

जल ? जीवन ? मिशन ?’ आदिवासी क्षेत्रों में फेल करोड़ों खर्च फिर भी पानी के लिए तरस रहे लोग..

दबंग न्यूज लाईव
रविवार 23.03.2025
बिलासपुर (कोटा)। जल जीवन मिशन में ना तो जल है ना जीवन है और मिशन तो पूरा फेल ही है । हर घर नल जल की योजना छत्तीसगढ़ के कोटा विकासखंड में पूरी तरह फेल है । जल जीवन मिशन के तहत गांव-गांव में पाइपलाइन और पानी की टंकियां बनाने की योजनाएं तो बनीं, लेकिन भ्रष्टाचार और लापरवाही के चलते आदिवासी समाज को आज भी पीने का शुद्ध पानी मयस्सर नहीं हो पा रहा। कोटा ब्लॉक के खोंगसरा, टाटीधार और आमागोहन जैसे गांवों में हालात बदतर हैं। करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद लोग अब भी तालाब, ठोढ़ी और झिरिया का पानी पीने को मजबूर हैं, जिससे गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ गया है।

बिना प्लानिंग के बने बोर, अधूरी पाइपलाइन, टंकियां सूखी खोंगसरा ग्राम पंचायत में 3-4 जगह पानी के टावर बना दिए गए, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है। बगैर जल स्रोतों की जांच किए बोरिंग कर दी गईं, जिनमें पानी नहीं निकला। नतीजा यह हुआ कि पानी की पाइपलाइन बिछाने के बावजूद लोगों तक पानी नहीं पहुंचा।

ग्राम पंचायत टाटीधार में घर-घर नल कनेक्शन देने की योजना थी, लेकिन यह योजना अधूरी ही रह गई। ठेकेदारों ने पाइपलाइन बिछा दी, मगर न पानी की टंकी बनी और न बोरवेल हुआ। यहां की सप्लाई एक पुराने क्रेडा पंप से जोड़ी गई, जिससे महज पांच घरों तक पानी पहुंच पा रहा है। आमागोहन में भी नई पाइपलाइन लगाने के बजाय पुरानी ही चालू कर दी गई, जिससे पानी की आपूर्ति प्रभावित हो रही है।

 

गुणवत्ता पर सवाल, भ्रष्टाचार के आरोप नवनिर्मित पानी की टंकियां घटिया सामग्री से बनाई गई हैं, जिससे वे काम नहीं कर रही हैं। ग्रामीणों का कहना है कि काम अधूरा छोड़ दिया गया और करोड़ों रुपये पानी की तरह बहा दिए गए, लेकिन नतीजा शून्य रहा।

नेताओं और जनप्रतिनिधियों की प्रतिक्रिया

राजू सिंह राजपूत (भाजपा नेता) क्षेत्र  में पानी की समस्या लगातार बढ़ रही है। हम ठेकेदारों के काम की जांच कराएंगे और जो दोषी पाए जाएंगे, उन्हें ब्लैकलिस्ट किया जाएगा।ष्

स्वराज पटेल आधा अधूरा काम करके ठेकेदारों ने मनमानी की है। न कोई निगरानी थी, न कोई गुणवत्ता पर ध्यान दिया गया। पूरा मामला भ्रष्टाचार का उदाहरण है।ष्

बलराम मरावी  खोंगसरा   इस पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच की मांग करेंगे। हर गांव में भारी भ्रष्टाचार हुआ है, जिसे उजागर करना जरूरी है।ष्

प्रदीप शर्मा (सामाजिक कार्यकर्ता)  आदिवासी समाज, जिन्हें राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहा जाता है, वे आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और चिंताजनक स्थिति है।ष्

क्या हो सकते हैं समाधान?

पारदर्शी जांच  पहले से हुए कार्यों की निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो।  पुनः जल सर्वेक्षण जल स्रोतों की वैज्ञानिक जांच कर नए बोरिंग किए जाएं। स्थानीय भागीदारी  ग्राम पंचायतों और ग्रामीणों को निगरानी में शामिल किया जाए ताकि भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाया जा सके।

ग्रामीणों की उम्मीदें अब भी बरकरार

बावजूद इसके कि कई बार शिकायतें दर्ज कराई गईं, स्थिति में सुधार नहीं हुआ। अब ग्रामीणों को उम्मीद है कि सरकार और प्रशासन इस गंभीर समस्या पर ध्यान देंगे और जल्द ही आदिवासी इलाकों में पीने के पानी की व्यवस्था सुचारू होगी। वरना लोगों का रोष बढ़ सकता है और आंदोलन की नौबत आ सकती है।

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