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परीक्षा के लिए पहले भेज दिए थोक में उत्तर पुस्तिका फिर कहा परीक्षार्थी मार्केट से कागज खरीद बना सकता है उत्तरपुस्तिका

उत्तर पुस्तिका का फ्रंट पेज वाट्सअप या मेल में भेज दिया जाएगा ।
यही करना था तो फिर उत्तर पुस्तिका में करोड़ों की बर्बादी क्यों ?
परीक्षा नियंत्रक ने कहा – हर स्थिति पर नजर रखी जा रही है किसी भी प्रकार से पैसे की बर्बादी नहीं होगी ।

दबंग न्यूज लाईव
शनिवार 12.09.2020

बिलासपुर – कोरोना के संक्रमण काल को देखते हुए विश्व विद्यालयों के फाईनल ईयर तथा प्रायवेट छात्रों के एक्जाम के लिए प्रश्न पत्र परीक्षार्थी के वाट्सएप या मेल एड्रेस पर भेजे जाने का फैसला लिया गया था जिसे परीक्षार्थी डाउनलोड कर उसका प्रिंट ले ले तथा उत्तर लिखने के बाद अगले दिन कालेज जाकर उसे जमा कर दे । याने उत्तरपुस्तिका लेने , प्रश्नपत्र लेने में दिक्कत है लेकिन उत्तर पुस्तिका जमा करने कालेज में जाने पर कोई दिक्कत नहीं है ।यहां तक तो फिर भी सब ठीक है लेकिन असली खेल इसके बाद शुरू होता है ।


परीक्षा में उत्तर लिखने के लिए लगभग 32 पेज की उत्तर पुस्तिका कालेजों में भिजवा दी गई है और निर्देश दिया गया कि परीक्षार्थी उत्तर पुस्तिका कालेज जाकर ले ले । ऐसे में कालेज में परीक्षार्थीयों की भीड़ लगने लगी । ऐसे में विश्वविद्यालय प्रबंधन ने फिर से एक व्यवस्था की जिसके अनुसार कालेज उत्तर पुस्तिका के पहले और दुसरे पेज को स्केन करके परीक्षार्थी के वाट्सएप या मेल में भेजे जिसके बाद परीक्षार्थी उस पहले पेज का प्रिंट लगा ले तथा बाजार से तीस से चालिस पेज ए फोर साईज में लेकर उत्तर पुस्तिका बना ले और लिख लाख के जमा कर दे ।


खेल यही है जब आनलाईन उत्तर पुस्तिका परीक्षार्थीयों को आसानी से दी जा सकती थी तो फिर इतनी बड़ी संख्या में उत्तर पुस्तिका प्रिंट करवाने की जरूरत क्या थी ? उत्तर पुस्तिका जब परीक्षार्थी खुद बाजार से लेकर बना लेगा तो फिर कालेज में डंप उत्तर पुस्तिकाओं का क्या होगा ? क्या उत्तर पुस्तिका का सिरियल नम्बर उपयोग में आने के बाद उत्तरपुस्तिका रिजेक्ट नहीं हो जाएगी ?


लेकिन इस उत्तर पुस्तिका के प्रिंट और कालेज भेजने के बीच का खेल तो अधिकारी कर ही चुके हैं । विश्वविद्यालय में उत्तर पुस्तिका हजार दो हजार नहीं लाखों में लगती है हर कालेजों में ये उत्तर पुस्तिका हजारों में पहुंची और इसके लिए विश्व विद्यालय ने करोड़ों का भुगतान किया होगा । ऐसे संकट के समय में इस तरह से लाखों करोड़ों की बर्बादी क्या उचित है ।

दबंग न्यूज लाईव ने इस संबंध में विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार सुधीर शर्मा से जानकारी लेनी चाही लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई ।

इसके बाद हमने विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक प्रवीण पांडेय से बात की उनका कहना था कि – बहुत कम बच्चे ऐसे हैं जो आनलाईन उत्तर पुस्तिका की मांग कर रहे हैं । अधिकतर कालेजों में सामाजिक दुरी के नियम का पालन करते हुए उत्तर पुस्तिका दी जा रही है । मैने स्वयं कई कालेजों से जानकारी ली है जहंा सब ठीक है । कल तक लगभग पचास प्रतिशत उत्तर पुस्तिका बांटी जा चुकी थी यदि कुछ बच गई तो अगले एक्जाम में काम आएंगी । कहीं कोई पैसे की बर्बादी नहीं होगी पुरी स्थिति पर नजर रखी जा रही है ।

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