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डंडा तो गरीबों पर ही चलता है ,वन विभाग ने केन्दा बरपाली रोड पर अवैध कब्जा हटाया ।

वन,राजस्व व पुलिस विभाग की संयुक्त कार्यवाही ।
जिनकी झोपड़ी टूटी उन्होने विभाग पर पक्षपात का आरोप लगाया ।
कभी कोटा शहर के अंदर हो रहे अवैध कब्जे पर भी ध्यान दें दें तो बेहतर ।

 

दबंग न्यूज लाईव
बुधवार 09.09.2020

 

सुमन पाण्डेय

बेलगहना-वन विभाग ने आज ग्रामीणों द्वारा अवैध रूप से बनाये गए झोपड़ियों को तोड़कर वनभूमि पर किये गये कब्जे को खाली कराया गया। ग्रामीणों द्वारा केन्दा बरपाली रोड के किनारों पर लगभग 25 से 30 एकड़ में फैले वनभूमि पर पृथक पृथक लगभग 30-35 झोपड़ियों का अवैध रूप से निर्माण कर लिया गया था । हांलाकि ये सारे निर्माण लकड़ी एवं बांस पत्ते और घास-फूस से किये अस्थाई निर्माण थे फिर भी वन विभाग ने इन्हे गंभीरता से लेते हुए स्थायी अवैध कब्जे की प्रकिया की शुरूआत मानते हुए आज इन्हे तोड़ दिया ।

उल्लेखनीय है कि कुछ दिनों पूर्व स्थानीय नेताओं और वन विभाग के कर्मचारियों द्वारा मौके पर जाकर इन्हे इस तरह से जंगल काटकर कब्जा न करने की समझाईश दी गयी थी जिसपर इन ग्रामीणों द्वारा बात मानते हुए कब्जा हटाने पर सहमति दी गयी थी पर कई दिनों के बीत जाने पर भी कब्जा नही हटाने के कारण वन विभाग द्वारा यह कार्यवाही की गयी।

वन विभाग द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार इन सभी अवैध कब्जाधारियों को उक्त वनभूमि खाली करने के संबंध में 15 दिनों पूर्व ही नोटिस दे दिया गया था उसके बाद भी इन ग्रामीणों द्वारा वन भूमि खाली नही की गई जिसे आज वन,राजस्व एवं पुलिस विभाग की संयुक्त टीम द्वारा झोपड़ीयों को तोड़कर खाली कराया गया ।

मौके पर अनुविभागीय अधिकारी वन डी एन त्रिपाठी,नायब तहसीलदार बेलगहना शिवम पाण्डेय, परिक्षेत्र अधिकारी विजय साहू, बेलगहना प्रभारी दिनेश चन्द्रा मौजूद रहे साथ ही बड़ी संख्या में ग्रामीण भी उपस्थित थे जिनके सामने कब्जा खाली कराया गया।

जिन ग्रामीणों की झोपडी आज तोड़ी गयी उन्होने वन विभाग पर पक्षपात पूर्ण की गयी कार्यवाही का आरोप लगाया है उनका कहना है कि इतने लम्बे समय से कई लोगों द्वारा सरकारी जमीनों पर बेजा कब्जा कर उसपर पक्के निर्माण करा लिए गये हैं ये सारे बड़े और रसूखदार लोग हैं इसलिए इनकी बिल्डिंगें नही तोड़ी गयीं और हम गरीबों की झोपड़ी तोड़ दिया गया । ग्रामीणों का कहना था कि यदि विभाग अन्य अवैध कब्जाधारियों के कब्जे नहीं हटाएगी तो वे फिर से जहां अपनी झोपड़ी बनाए थे वहां बना लेंगे ।

डी एन त्रिपाठी (एसडीओ फारेस्ट)- पर्याप्त समय देने के बाद भी इन लोगों द्वारा अतिक्रमण स्थल को नही छोड़ा गया और अतिक्रमण बढ़ाते गये इसलिए वन, राजस्व एवं पुलिस विभाग की संयुक्त कार्यवाही के द्वारा अतिक्रमण हटाया गया ।

वन विभाग जंगलों में जाकर तो अवैध कब्जे धारियों पर कार्यवाही कर रहा है लेकिन कोटा शहर के अंदर वन विभाग की जमीन पर सागौन पेड़ों को काट कर किए जा रहे कब्जे की ओर इनका ध्यान नहीं । मजे की बात ये है कि ये अवैध कब्जा वन विभाग के आफिस के पिछे ही हो रहा हैं ।

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