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पंचायत में बंटने वाले मुफ्त चांवल के देने होंगे 3271 रू प्रति क्विंटल ।

इस संकट के समय नान कमाई पर लगा ।

नीजि दुकानदार ज्यादा ले तो कार्यवाही और सरकारी संस्था नान ले तो ?

 

दबंग न्यूज लाईव
शुक्रवार 10.04.2020

संजीव शुक्ला

करगीरोड – देश इस समय संकट की घड़ी से गुजर रहा है । लोगों के सामने अपनी जान के साथ ही रोजी रोजगार का भी संकट आन पड़ा है । प्रदेश में भी लाॅक डाउन का व्यापक असर देखने में आया है । लोगों के रोजगार बंद है , लोग घरों में बंद है । ऐसे में कई ऐसे परिवार हैं जिनके पास ना तो राशनकार्ड है और ना ही उन्हें राशन दुकान से किसी प्रकार से अनाज प्राप्त हो रहा है । ऐसे लोगों की मदद के लिए स्वयं सेवी और समाज का विभिन्न तबका सामने आया है ।


सरकार ने भी इसके लिए अपनी सभी पंचायतों में दो दो क्विंटल चांवल स्टाक करने कहा कि यदि किसी के पास राशन ना हो तो पंचायत उसे राशन उपलब्ध कराए ताकि लाॅक डाउन के इस कठिन समय में कोई भूखा ना रहे ।


लेकिन इस बीच एक ऐसी खबर सामने आ रही है जो नागरिक आपूर्ति निगम से जुड़ी है । सभी को पता है कि सरकार राशन दुकानों से बीपीएल कार्ड के तहत एक रू और एपीएल कार्ड के तहत दस रू का चांवल उपलब्ध कराती है । सरकार के पंचायतों में दो क्विंटल चांवल रखने और जरूरतमंदों को फ्री में देने के आदेश के बाद हर सोसायटी से दो -दो क्विंटल चांवल पंचायत में दे दिया गया । अब नान के द्वारा सभी पंचायतों से 3271 रू.क्विंटल के हिसाब से दो क्विंटल चांवल का 6542 रू वसूला जा रहा है । यानी नान जो चांवल एक या दस रू में देता था उसी चांवल का अब 32.71 पैसे किलो वसूल रहा है ।


माना कि ये पैसा पंचायत देगी और इसका कोई भार आम जनता पर नहीं पड़ेगा । लेकिन देखना ये भी होगा कि पंचायत किस मद का पैसा देती है ? क्या पंचायत के पास इसके लिए पैसे हैं ? क्या ही ये अच्छा नहीं होता कि नान पंचायतों से दस रू के हिसाब से ही बिलिंग करता । क्योंकि ये प्रत्यक्ष रूप से भले ही आम जनता पर भार ना हो लेकिन बाद में दिक्कत तो लोगों को ही आने वाली है ।

छत्तीसगढ़ में लगभग 9820 ग्राम पंचायत है ऐसे में प्रत्येक पंचायत से 6571 रू की राशि यानी 64,527,220.00 रूपए होते हैं । यानी पचायत विकास  की राशि नान को जाएगी ।

एक जानकारी के अनुसार पंचायत अपने मूलभूत की राशि से ये पैसे नान को देंगे । याने जो पैसे पंचायत की मूलभूत आवश्यकताओं के लिए था उसका उपयोग चांवल के लिए हो रहा है जबकि इस समय होना ये था कि सरकार अपने सभी पंचायतों को फंड उपलब्ध करवाती जिससे वो मास्क ,सेनेटाईजर और अन्य जरूरी चिजे जो इस समय जिनकी आवश्यकता हो उसे खरीद सकें । या सरकार ही अपने सभी पंचायतों में मास्क और सेनेटाईजर उपलब्ध करवाती जिससे पंचायत मजबूती से इस संक्रमण का मुकाबला कर सके ।

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