अचानकमार टाईगर रिजर्व का टाईगर एक हफते से तखतपुर के गांव में ।
अब तो थोड़े जिम्मेदार हो जाओ एटीआर के कर्णधारों ।

दबंग न्यूज लाईव
रविवार 09.03.2025
बिलासपुर – अचानकमार टाईगर रिजर्व से निकला एक बाघ पिछले एक हफते से तखतपुर के आबादी वाले गांव के आस पास और खेत खार में घुम रहा है लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों के पास इस टाईगर के लिए समय नहीं है शायद मार्च का महिना है तो बजट का भी ध्यान रखना जरूरी होगा टाईगर का क्या है बांध के थोड़ी रख सकते हैं निकल गया होगा जंगल से बेकार लोग हाय तौबा मचा रहे हैं जिम्मेदारों ने चार छह दस निचले स्तर के कर्मचारी तो लगा दिए हैं ।

चार दिन पहले बाघ ने तखतपुर के कठमुंडा गांव में खेत में पानी देने गए शिवकुमार जायसवाल पर हमला कर दिया था । शिवकुमार की किस्मत अच्छी थी जो उन्होंने झाडियो में छूप कर अपनी जान बचाई और लोगों ने उन्हें समय पर अस्पताल पहुंचाया । इसके बाद वन विभाग ने गांव में मुनादी करानी शुरू कर दी । दो दिन बाद तखतपुर के ही कुआं गांव से बाघ का एक विडियो वायरल हुआ है जिसमंे वो एक बैल का शिकार करता हुआ दिख रहा है । गांव के लोगों का कहना है कि वो विडियो सहीं है लेकिन वन विभाग के एसडीओ और डीएफओ का कहना है कि विडियो गलत है ।

एक दिन पहले ही कानन पेंडारी जू में उस समय हड़कंप मच गया जब एक बाघिन को खाना देने गए कर्मचारी पर बाघिन ने हमला कर दिया और उसके हाथ का अंगुठा खा लिया । आनन फानन में घायल कर्मचारी को सिम्स में भर्ती कराया गया । इसके पहले भी यहां के एक कर्मचारी को सांप ने काट लिया था ।

आखिर ये घटनाएं अचानक से क्यों होने लगी । कानन जू में इतनी लापरवाही क्यों हो रही है ? और प्रदेश के सबसे बड़े टाईगर रिजर्व के वन्य जीव अभी से जंगल से बाहर क्यों आ रहे हैं ? क्या एटीआर में गर्मी से पहले ही पानी की किल्लत होने लगी है ? क्या बाघों को यहां भोजन नहीं मिल रहा है ?
ऐसे कई सवाल हैं जो उठ रहे हैं इन सवालों के उठने का कारण भी है क्योंकि पिछले दो माह में एटीआर में एक बाघिन की मौत हो गई और एक बाघिन यहां से बाहर निकल कर पंद्रह बीस दिन तक अमरकंटक और आस पास के स्थानों में घुमती रही लेकिन एटीआर प्रबंधन ने इसके लिए कुछ किया नहीं बाद में इस बाघिन की भी मौत हो गई । दो दिन पहले ही सिंहवालसागर में हाथी ने एक केयर टेकर को उठा कर पटक दिया था जिसे ईलाज के लिए अचानकमार से कोटा लाने में पांच घंटे लग गए थे ।
सवाल ये उठता है कि क्या एटीआर की कमान संभाल रहे डिप्टी डायरेक्टर यू आर गणेशन से एटीआर संभल नहीं रहा है ? क्या एटीआर प्रबंधन का ज्यादा ध्यान वन्य जीवों की सुरक्षा से हटकर सिर्फ निर्माण कार्यों में लगा हुआ है ? आखिर एटीआर प्रबंधन पर्यटन को क्यों बढ़ावा नहीं देता ?
खैर वन विभाग और एटीआर के अधिकारी ऐसी खबरों को छुपाते रहते हैं जबकि उन्हें इन खबरों और घटनाओं को लोगों के सामने रखना चाहिए जिससे लोग जागरूक हों और स्वयं की सुरक्षा के साथ ही वन्य जीवों की सुरक्षा का भी ध्यान रख सके ।