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छत्तीसगढ़ – संतुष्ट नहीं होने की जिद्द ने दुसरे प्रयास में यूपीएससी क्लियर कराया ।

लक्ष्य पाना है तो मेहनत ,लगन और दृढ़ निश्चय ही मंजील पर पहुंचने का रास्ता ।

दबंग न्यूज लाईव
शनिवार 20.04.2024

लोरमी छत्तीसगढ़ – यदि आप अपने हालिया मुकाम से संतुष्ट नहीं हैं और आप ने अपनी मंजील अपने जेहन में बसा रखी है तो उस मंजील को पाने का रास्ता है अपने लक्ष्य के लिए ईमानदारी से मेहनत ,लगन और दृढ़ निश्चय करना जो आपको एक दिन आपकी मंजील तक ले जाएगी ।


छत्तीसगढ़ में ऐसी ही इबारत लिखी है एक छोटे से नगर लोरमी के युवा प्रीतेश सिंह राजपूत ने । प्रीतेश शुरू से ही पढ़ने में प्रतिभावान रहे हैं और लोरमी से ही हिंदी मीडियम में अपनी पढ़ाई की है । यूपीएससी  में चयन होने के पहले ही वो एक बेहतर पोस्ट पर छत्तीसगढ़ सरकार की सेवा मे पदस्थ थे यदि यहीं वो रूक जाते तो जो इतिहास उन्होंने रचा है और आने वाली पीढ़ी को जो रास्ता उन्होंने दिखाया है वो ना हो पाता ।

प्रितेश राजपूत मनेन्द्रगढ़ में डिप्टी कलेक्टर के पद पर पदस्थ थे इस पद की जिम्मेदारियों को निभाने के साथ ही उन्होंने यूपीएससी की भी अपनी तैयारी जारी रखी और अपने दुसरे ही प्रयास मे उन्होंने 697 रैंक हासिल करते हुए इसे क्रेक कर दिया ।
आपको ये लग सकता है कि डिप्टी कलेक्टर के पद पर रहते हुए उनके पास सारी सुविधाएं थी इसलिए ये एक्जाम क्रेक हो गया होगा लेकिन प्रितेश सिंह राजपूत ने डिप्टी कलेक्टर बनने के लिए जो मेहनत की थी , जिस परिवेश में वे रहे और अपनी पढ़ाई की और अपनी नींव मजबूत की वो आज के युवाओं को देखना समझना और उससे प्रेरणा लेने योग्य है ।


लोरमी में रहने वाले प्रितेश सिंह राजपूत एक मध्यमवर्गीय परिवार से ही आते हैं और गांव में रहने वाले बच्चे को जो वातावरण मिलता है पढ़ने लिखने का ओैर अपने दोस्तों का वैसा ही इनके साथ भी था लेकिन यहीं से उन्होंने कुछ अलग ठान रखा था जो उन्हें भीड़ से अलग करता था ।

प्रितेश सिंह राजपूत के पिता रेवा राम राजपूत मैकेनिक हैं और मां गृहणी । प्रितेश सिंह राजपूत की सफलता ने युवाओं को ईमानदारी से निरंतर प्रयास करने के साथ ही अपने लक्ष्य के प्रति पूर्ण समर्पण के साथ मेहनत करने की सीख दी है । हर मुकाम आप को मिल सकता है शर्त है कि उस मुकाम को पाने की ललक आपके अंदर कितनी है ।

इस सफलता का श्रेय प्रितेश सिंह ने अपने माता पिता और अपने परिवार को देते हुए कहा है कि सपने सच होते अगर पढाई को कमजोरी ना मानकर हमेशा चुनौती के रूप मे लिया जाए । अपने बीच से एक युवा को सफल होते देख नगरवासी गौरान्वित हैं और ये सफलता आने वाले समय में नगर के युवाओं को आगे बढ़ने की प्रेरणा जरूर देगी ।

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