छत्तीसगढ़ के पेण्ड्रा में आठ साल से एक सड़क का निर्माण शुरू नहीं , जमीन का अधिग्रहण तो हो गया लेकिन किसानों को नहीं मिला मुआवजा ।
जिस सड़क के लिए किसान की जमीन गई उसी सड़क ने किया विकलांग ।

किसान ने कहा सरकार मुआवजा दे या इच्छा मृत्यु की अनुमति दे ।
दबंग न्यूज लाईव
मंगलवार 04.11.2025
जीपीएम छत्तीसगढ़ – छत्तीसगढ़ के नए नवेेले जिले जीपीएम यानी गौरेला पेण्ड्रा और मरवाही का ये अद्भूत मामला है । बात है 2018 की उस समय प्रदेश के मुख्यमंत्री थे डा रमन सिंह और इनके द्वारा पेण्ड्रा में अमरपुर होकर सेमरा तिराहा से दुबटिया तक लगभग 54 करोड़ की लागत से 13 किमि बाईपास सड़क का शिलान्यास किया गया ।

बड़े ही तामझाम और भाषणबाजी के बाद लोगों को लगा कि अब ये सड़क बन जाएगी तो उनकी काफी दिक्कतें कम हो जाएंगी । लेकिन साल दर साल बितते गए । प्रदेश की सत्ता बदली और फिर से बदली लेकिन इस काम को पूरा कराने वाले लोक निर्माण विभाग इस काम को भूल गया ।

इस बीच कई किसानों की जमीनें अधिग्रहित कर ली गई कुछ किसानों को इसका मुआवजा मिला और बाकी किसान जिनकी जमीनें इस सड़क के लिए अधिग्रहित कर ली गई थी वो ठगे रह गए ना उन्हें मुआवजा मिला और ना ही वे अपनी उक्त जमीन का उपभोग कर पा रहे हैं ।

इन्हीं किसानों में अमरपुर के एक किसान संतोष पटेल भी हैं जिनकी जमीन इस सड़क के लिए अधिग्रहित कर ली गई है और आज तक उन्हें मुआवजा का एक रूपया भी नहीं मिला । कई बार ये विभागों और अधिकारियों के चक्कर लगा चुके हैं ।

इस बीच 13 सितम्बर 2024 को संतोष पटेल इसी रोड़ पर दुर्घटनाग्रस्त हो गए जिसमें उनके एक पैर की हडडी टूट गई और वे चलने फिरने से लाचार हो गए । अपने परिवार का अकेले जीविका चलाने वाले संतोष पटेल के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद उनके परिवार की माली हालत खराब होने लगी । उनकी एक आस सिर्फ मुआवजे पर टिकी थी लेकिन सालों से चक्कर लगाकर थक चुके संतोष पटेल पूरी तरह टूट गए ।
इस बीच उन्होंने अक्टूबर 2025 को एसडीएम पेण्ड्रा को एक पत्र लिखकर अपनी हालत बताई और कहा कि या तो उन्हें उनकी जमीन का मुआवजा दे दिया जाए या फिर परिवार सहित आत्मदाह की अनुमति दे दी जाए ।किसान के इस पत्र के बाद एसडीएम ने 30 अक्टूबर को लोक निर्माण विभाग को पत्र लिखकर जानकारी चाही लेकिन लोक निर्माण विभाग की तरफ से क्या जवाब आया इसकी जानकारी नहीं है ।
बहरहाल 2018 में स्वीकृत हुई ये सड़क सात सालों बाद भी बनना शुरू नहीं हुई है । इस बीच इस सड़क पर कई दुर्घटनाएं हो चुकी है । किसान अपने मुआवजे की राह देख रहे हैं और अधिकारी इस तरफ से बेखबर हैं । देखना होगा संतोष पटेल जैसे किसानों को कब न्याय मिल माता है ।



