छत्तीसगढ़ पीएससी कब सुधरेगा ?
ना स्पष्ट नियम , ना स्पष्ट विज्ञापन , ना ही सहीं समय पर साक्षात्कार ।
प्रोफेसरों के 595 पदों के दस्तावेेजों का सत्यापन स्थगित ।
दबंग न्यूज लाईव
गुरूवार 05.12.2024
Sanjeev Shukla
रायपुर – प्रदेश में जिस विभाग के उपर उच्च पदों की भर्ती , परीक्षा और साक्षात्कार का जिम्मा है लगता है यहां बैठे जिम्मेदार हर समय कन्फयूज ही रहते हैं । ना स्पष्ट भर्ती विज्ञापन निकालतेे हैं ना समय पर परीक्षा लेते हैं और यदि ये सब हो भी गया तो फिर साक्षात्कार के पहले और दस्तावेज सत्यापन की तारीख ही बदल देते हैं ।
ताजा मामला प्रदेश में होने वाले प्रोफेसरों के 595 पदों के दस्तावेज सत्यापन को बिना किसी वाजिब कारण के निरस्त कर दिया गया मजे की बात तो ये है इनमें भी अंग्रेजी ,कम्युटर के साथ ही अन्य विभागों के दस्तावेेजों का सत्यापन हो चुका था और सत्यापन दो दिसम्बर से 16 दिसम्बर तक होना था ।
2021 में 595 पदों पर होनी थी जिसका विज्ञापन प्रकाशित हुआ इसके बाद यहां के जिम्मेदारों को 2024 में ज्ञात हुआ कि विज्ञापन में कुछ गड़बड़ी है तो फिर उसका शुद्धि पत्र जारी हुआ । फिर 2 दिसम्बर 2024 को 1545 लोगों को दस्तावेेज सत्यापन के चयनित किया गया और 2 दिसम्बर को दस्तावेेजों का सत्यापन भी हुआ लेकिन जब 4 दिसम्बर को दस्तावेेज सत्यापन के लिए उम्मीदवार पहुंचे तो उनको पता चला कि दस्तावेज सत्यापन निरस्त कर दिया गया । पीएससी ने अब दस दिसम्बर से दस्तावेज सत्यापन की तारीख जारी की है ।
इस पूरे प्रकरण और पीएससी की कार्यप्रणाली देखने और समझने से तो लगता है कि इतना उलटफेर सिर्फ बाहरी प्रत्याशीयों को और अपने चहेतों को लाभ दिलाने के लिए बनाया जा रहा है । पीएससी ने जो नियम बनाया है इससे छत्तीसगढ़ के योग्य उम्मीदवार दस्तावेज सत्यापन के समय बाहर हो जाएंगे। कुछ लोगो के द्वारा योग्यता सम्बन्धी नियमो की गलत व्याख्या की जा रही।
जबकि आवेदन के समय प्रकाशन और एपीआई की जानकारी न मंगा कर पीएससी ने भारी भूल की। ऐसे में आज कीे तारीख में भी लोग बैक डेट में पुस्तके और रिसर्च पेपर प्रकाशीत कर रहे है। बिलासपुर , रायपुर में कई प्रकाशकों के दलाल सक्रिय है जो पैसे लेकर अयोग्य लोगो को योग्य बनाने का कार्य कर रहे है । विभाग को ऐसे प्रकाशन की प्लेगरिसम और कॉपीराइट जांच कराना चाहिए।
इसी तरह का खेल निजी महाविद्यालय और विश्वविद्यालयों के कार्यरत शिक्षकों द्वारा भी किया जा रहा है। वे 10 वर्षाे का अनुभव प्रमाण पत्र एवम फर्जी सैलरी स्लिप दे रहे है यह भी जानकारी प्राप्त हुई है कि अनेक निजी संस्थाओ में नियमो के तहत नियुक्ति नही है इसके अलावा 25 से 30 हजार वेतन मिलने के बाद भी फर्जी तरीके से सैलरी स्लिप में यूजीसी के अनुसार वेतन का उल्लेख है ।
अन्य प्रांतों की तरह छत्तीसगढ़ सरकार को भी पहले स्थानीय आवेदकों को वरीयता दी जानी चाहिए जिससे छत्तीसगढ़ निर्माण की मूल भावना के साथ न्याय हो सके। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ के शासकीय महाविद्यालयों में वर्षो से अपनी सेवा दे रहे सहायक प्राध्यापको को प्राथमिकता दी जानी चाहिए ।