दबंग न्यूज लाईव
सोमवार 06.01.2025
बिलासपुर – हे बाघिन अब तुम कान्हा ही चली जाओ ये शब्द इसलिए बोलना पड़ रहा है क्योंकि कान्हा के जंगलों से निकली एक बाघिन को चिरमिर क्षेत्र से रेस्क्यू करके सोलह दिसम्बर की दरम्यानी रात अचानकमार टाईगर रिजर्व के बोकरा कछार रेंज में छोड़ा गया था । रेस्क्यू के सिर्फ पंद्रह दिनों में ही ये बाघिन अचानकमार से निकलकर जटगा पसान होते कटघोरा रेंज तक पहुंच गई थी वहां के कई गांव वाले इसके पीछे पड़ गए थे अच्छी बात ये थी कि कालर आईडी लगी होने से वन विभाग और एटीआर के कर्मचारी लगातार इसकी मॉनिटरिंग कर रहे थे और गांव वालों को भी समझाईश दे रहे थे ।
कटघोरा क्षेत्र से ये बाघिन फिर से कारीआम होते खोंगसरा भनवारटंक और टाटीधार की तरफ वापस हो गई इस दौरान पूरे रास्ते इसकी बराबर टेªकिंग होते गई और अब ये फिर से एक बार गौरेला क्षेत्र पहुंच रही है ।
सवाल ये उठता है कि आखिर रेस्क्यू के पंद्रह दिनों के भीतर ही ये बाघिन अचानकमार से बाहर क्यों निकल गई ? शायद अधिकारी कहेंगे कि वन्य जीव है उसको कौन रोक सकता है कहीं भी आ जा सकते हैं । बात सहीं है गांव , शहर ,कोर और बफर तो इंसानों ने अपनी सुविधाओं के लिए बनाया है टाईगर को इन सबसे थोड़ी मतलब ।
लेकिन अंदरूनी जानकारी के अनुसार अचानकमार टाईगर रिजर्व ने बहाउड़ में लगभग डेढ से दो करोड़ खर्च करके एक बाडे का निर्माण कराया था जिसमें रेस्क्यू करके लाए गए टाईगरों को कुछ दिन रखने की व्यवस्था थी । सवाल ये उठता है कि जब बहाउड़ में ये बाड़ा बनाया गया है तो फिर इस बाघिन को इस बाड़े की जगह बोकराकछार के खुले जंगल में क्यों छोड़ दिया गया ?
जानकारी ये भी मिली है कि करोड़ों की लागत से बहाउड़ में जो बाड़ा बनाया गया है वो भी सहीं स्थिति में नहीं है जिसमें टाईगर को रखा जा सके लेकिन इस बारे में हम दावे के साथ कुछ नहीं कह सकते क्योंकि यहां की हमारे पास कोई अधिकृत जानकारी नहीं है और अचानकमार प्रबंधन पर्यटकों को इस तरफ ले जाता भी नहीं पत्रकारों की तो बात ही छोड़ दिजिए ।
सरकार को चाहिए कि एक उच्च स्तरीय कमेटी अचानकमार टाईगर रिजर्व की जांच के लिए बनाए जो यहां हो रहे और हो चुके कामों की आडिट करे और साथ ही ये भी सुनिश्चित करे कि अचानकमार टाईगर रिजर्व में वन्य जीवों की सुरक्षा और रहवास के लिए जितने दावे और खर्चे प्रबंधन बताता है वो वाकई मे हो भी रहे हैं या नहीं ?