कहीं तेंदुए का शिकार तो कहीं बाघ का , देश में कैसे बचेगें बिग कैट ।
इंसानों का दोगलापन एक तरफ सेव टाइगर का नारा दुसरी तरफ बेहिसाब शिकार ।
सरकार को बनाने होंगे कड़े कानून ।
दबंग न्यूज लाईव
17 मई 2024 शुक्रवार
sanjeev shukla
रायपुर छत्तीसगढ़ – देश में बड़े जोर शोर से सेव टाइगर का स्लोगन चल रहा है साथ ही कई गाड़ियों में सेव टाइगर का स्टिकर भी दिखाई देता है लेकिन जो खबरें हर दिन सामने आती है उससे लगता है कहीं टाइगर इन्हीं स्टिकरों में ही चिपक कर ना रह जाए । इंसानों को किसने ये बता दिया है कि समझ नहीं आता कि बाघ और तेंदुए जैसे जानवरों के दांत , नाखून और मुंछ के बालों से उनकी समस्याएं खतम हो जाएंगी और उनके बुरे दिन रातों रात इसे रखने से बदल जाएंगे । इंसानों के भीतर तक घर कर गए इस अंधविश्वास और अफवाह ने देश में इन बिग कैट की प्रजातियों को विलुप्तता की कगार पर ला दिया है । एक तरफ इंसान इन्हें मार भी रहा है दूसरी तरफ हजारों खर्च करके जंगल में इन्हें देखने भी जा रहा है ।
छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के चैतमा वन परिक्षेत्र से वन विभाग को सूचना मिली कि एक तेंदुआ की लाश कटघोरा वन मंडल के चैतमा परिक्षेत्र में पड़ा है जानकारी चूंकि गंभीर थी इसलिए वन विभाग का एक दल तत्काल घटना स्थल पर पहुंचा । जानकारी सहीं थी चैतमा वन परिक्षेत्र के इस बीट में एक नर तेदुए की लाश पड़ी थी । तेदुए का शव क्षत-विक्षत अवस्था में था तेदुए के शरीर से उसकी खाल का कुछ हिस्सा ,नाखून ,दांत और पूंछ गायब थे मतलब साफ था कि तेंदुए का शिकार उसके दांत ,नाखून और बाल के लिए किया गया था ।
प्राप्त जानकारी के अनुसार कुछ दिन पहले तेदुए ने एक बछड़े का शिकार किया था और आधा खाकर छोड़ दिया था । बछड़े के मालिक को पता था कि तेदुआ फिर से अपने शिकार को खाने आएगा ऐसे में उसने बछड़े के बचे शव में जहर मिला दिया । इंसानी फितरत से अंजान तेदुआ फिर से अपने शिकार को खाने आया और अपनी जान गंवा बैठा ।
सूत्रों की मानें तो इस क्षेत्र में अधिकतर तेंदुए की मुवमेंट पाई जाती थी और ये जानवर घने जंगल से निकलकर पानी और भोजन की तलाश में इधर आ जाते हैं । आशंका जताई जा रही है कि शिकारियों ने इसे जहर देकर मारा होगा और उसके बाद उसके अंगों को काटकर निकाल लिया । वन विभाग ने इस मामले में अपराध दर्ज करके जांच शुरू कर दी है । विभाग ने रायपुर से खोजी कुत्ते को भी बुलाया है और शिकारियों की खोज की जा रही है ।
कटघोरा डीएफओ कुमार निशांत ने दबंग न्यूज लाईव से बात करते हुए पूरे मामले में बताया कि – “तेदुए को जहर देकर मारने की बात को आरोपी ने कबूल कर लिया है । कुछ दिन पहले आरोपी के एक बछड़े को तेंदुए ने मारा था और आधा खा गया था आरोपी ने बछड़े के बाकी बचे शव में जहर मिला दिया था जिसे फिर से खाने के लिए तेंदुआ आया और उसकी मौत हो गई । आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है और आज न्यायालय में पेश किया जाएगा । तेदुए के कुछ अंग को जप्त कर लिया गया है ।”
इसी तरह कांकेर जिले के वन परिक्षेत्र सरौना से सामने आ रही है यहां एक तेदुआ रात के अंधेरे में शिकार को दौड़ाते हुए कुंए में गिर गया । जानकारी के बाद वन विभाग का अमला गांव पहुंच गया है और तेदुए का रेस्क्यू कर लिया गया है फिलहाल अभी तेदुआ कुंए के अंदर ही है और अंधेरा होते ही उसे बाहर निकाला जाएगा ।
एक दुसरी घटना महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले से सामने आई हैं जहां अपनी फसल को बचाने के लिए किसान ने 11 केव्ही का करंट लगा रखा था और इस करंट की चपेट में एक बाघ आ गया ।
प्राप्त जानकारी के अनुसार खेत में फसल के लिए लगे बिजली तार से करंट लगकर एक बाघ के मौत के साक्ष्य मिटाने के लिए बाघ को जलाकर, टुकड़े-टुकड़े कर उसके ही खेत में दफनाने की घटना सामने आई। चंद्रपुर वन विभाग के अंतर्गत चिचपल्ली वनपरिक्षेत्र के उपक्षेत्र मूल, नियतक्षेत्र चिरोली के अंतर्गत नालेश्वर में उतथलपेट निवासी सुरेश विट्ठल चीचघरे ने निजी खेत सर्वे क्रमांक 52/2 में लगाए गए बिजली तार से बाघ का शिकार कर सबूत नष्ट करने के उद्देश्य मृत बाघको जलाकर शव के टुकड़े-टुकड़े कर उसे दफनाने की सूचना वनविभाग के अधिकारियों को 6 मई को मिली थी। जिसके आधार पर अधिकारियों ने सुरेश विट्ठल चीचघरे के खेत में जाकर मुआयना किया तो खेत के बीचो-बीच जला हुआ स्थल मिला, जिसके बाद फावड़े की सहायता से खुदाई किए जाने के बाद उसमें बाघ का एक दांत व जले हुए अंग मिले। मगर पूरी तरह से जांच होने तक और हर जगह की जांच करने तक विभाग द्वारा इस घटना को गुप्त रखा गया था।
इस सप्ताह चंद्रपुर जिले में 2 बाघों की मौत हो गई है और पिछले सात महीनों में कुल 13 बाघों की मौत हो चुकी है। 14 नवंबर को चिमूर वन क्षेत्र में बाघ संघर्ष में एक बाघ की मौत हो गई, 18 नवंबर को ताडोबा में बाघ की प्राकृतिक कारणों से मौत हो गई. 10 दिसंबर को वरोरा वन रेंज में एक बाघ की आकस्मिक मृत्यु हो गई, 14 दिसंबर को पलसगांव में एक बाघ की प्राकृतिक मृत्यु हो गई, जबकि 21 दिसंबर को सिंदेवाही रेंज में एक बाघ की बिजली के करंट से मौत हो गई। 24 दिसंबर को शिकार के दौरान कुएं में गिरने से तलोधी बाघ की मौत हो गयी.
सोमवार 25 दिसंबर को जहां सावली वन क्षेत्र में मादा बाघिन का क्षत-विक्षत शव मिला था, वहीं 15 जनवरी को नए साल पर जिले में एक बार फिर बोरदा सर्वे नंबर 250-1 के एक खेत में बाघ का शव ताडोबा अंधारी टाइगर रिजर्व के बफर क्षेत्र में मिला. आशंका जताई गई कि दो बाघों की लड़ाई में बाघ की मौत हुई होगी. बाघ की पहचान टी-51 के रूप में की गई।
इसी प्रकार 20 जनवरी को भद्रावती तहसील के चलबर्डी में एक खेत परिसर के कुएं में एक बाघ मृत पाया गया। 22 जनवरी को ताडोबा के खटोबा झील क्षेत्र के कक्ष क्रमांक 338 में 2 बाघ मृत पाए गए थे. और फिर 8 मई को बल्लारशाह वन रेंज के कलमना उप-क्षेत्र के वन कक्ष क्रमांक 571 में इस 1 वर्षीय मादा बाघिन की मृत्यु हो गई। पिछले सात माह में चंद्रपुर जिले में इस तरह से 13 बाघों की मौत हो चुकी है, मृत्यु दर बढ़ती जा रही है और बाघों की संख्या में कमी एक गंभीर मुद्दा है.