इंसानों ने अपनी जमीन तो बांटी ही , वन्य जीवों को भी सीमाओं में कैद कर दिया ।
हर अधिकारी का अपने बचाव में एक नया बयान ।
दबंग न्यूज लाईव
रविवार 03़.11.2024
बिलासपुर – इंसानों ने अपनी जमीन तो खंड खंड बांट ही ली उस पर भी जरूरत पूरी नहीं हुई तो वन्य जीवों के अधिकार क्षेत्र में भी कब्जा कर लिया बाद में वोट बैंक के चक्कर में सरकार ने जंगलों में लोगों को पट्टे बांट दिए और बाकी जंगल को अधिकारियों ने अपनी सुविधा अनुसार कोर ,,बफर ,,वन ग्राम और राजस्व ग्राम में बांट लिया लेकिन इंसानों की इस खुराफाती को जंगल के बिचारे वन्य जीव क्या ही समझें । उन्हें क्या पता कि उन्हें जंगल के किस भाग में ही रहना है ? कहां नहीं जाना है और अपने जंगल से कितनी दूर तक नहीं जाना है ।
एटीआर के अधिकारियों का पसंदीदा शगल एटीआर के अंदर सीविल वर्क और स्टाप डेम तक ही रह गया है वन्य जीवों की सुरक्षा और उनके आवास की बेहतरी के लिए कोई ठोस कार्य नहीं हो पाता नतीजा एटीआर के वन्य जीव बेमौत मारे जा रहे हैं । हद तो ये हो जाती है जब कोई वन्य जीव इंसानी दरिंदगी का शिकार होता है तो सभी जिम्मेदार विभाग के अधिकारी सबसे पहले ये देखते हैं कि वन्य जीव की मौत किस एरिया में हुई है और उस एरिया की जिम्मेदारी किसके उपर आती है ।
एक दिन पहले ही एटीआर से लगे वन क्षेत्र में एक नर हाथी शावक ऐसे ही इंसानों के बिछाये बिजली के तार की चपेट में आ गया और उसकी मौत हो गई । इसके बाद एटीआर ने राहत की सांस ली कि ये मोैत उसके एरिया में नहीं वन विभाग के एरिया में हुई है इसलिए उसने पूरे मामले से पल्ला झाड़ लिया और एक मीडिया को बयान दिया कि पैदल गार्ड ने जब झुंड में एक हाथी कम देखा तो गुम हाथी की तलाश शुरू की बाद में हाथी का शव एक खेत में मिला जिसके बाद उसने अधिकारियों को सूचना दी । गजब का बयान है साहब का । इस पैदल गार्ड को सम्मानित करना चाहिए जिसकी नजर जंगल के हर जीव के झुंडो में रहती है और फिर वो तलाश करते हुए अपनी सीमा से बाहर तक चले जाता है ।
वन मंडल के दुसरे जिम्मेदार अधिकारी ने भी एक मीडिया को जवाब दिया जहां हाथी की मौत हुई है वो जगह बिलासपुर वन मंडल में नहीं आता वह राजस्व का क्षेत्र है लेकिन हाथी की मौत हुई है इसलिए संपूर्ण कार्यवाही की जा रही है ।
इससे भी बढ़िया और बचने वाला जवाब दिया वन मंडल के सीसीएफ साहब ने दिया उन्होंने तो अपने अधिकारियों का बचाव ये करते हुए कर लिया कि इतने बड़े क्षेत्र की निगरानी उनके द्वारा संभव नहीं है । जब अधिकारियों की मानसिकता ऐसी ही हो जाएगी तो फिर आप अधिकारियों से ये उम्मीद मत रखिए कि वो आपके जंगल बचा पाएंगे और वन्य जीवों की सुरक्षा कर पाएंगे ।
एटीआर के एक एसडीओ तो इस बात से ज्यादा प्रसन्न है कि जिस एरिया में ये घटना हुई है वो एटीआर के एरिया से काफी दूर है ।
अधिकारियों की यही गैर जिम्मेदारी वन्य जीवों की जान की दुश्मन बनी हुई है जब तक जिम्मेदार अपनी जिम्मेदारी नहीं समझेंगे ऐसे हादसे होते ही रहेंगे ।