अचानकमार टाइगर रिजर्व के लिए बना नया टीसीपी प्लान बनाने की प्रक्रिया शुरू ।
नागझिरा टाइगर रिजर्व के विशेषज्ञ पहुंचे एटीआर दिया प्रशिक्षण ।
स्थानीय पर्यटकों और वाईल्ड लाईफ फोटोग्राफरों से भी लेनी चाहिए राय ।
दबंग न्यूज लाईव
रविवार 18.08.2024
Sanjeev Shukla
बिलासपुर – देश के प्रत्येक टाइगर रिजर्व के लिए एक दस वर्षीय टीसीपी प्लान तैयार किया जाता है जिसके अंतर्गत आने वाले दस सालों में उस टाइगर रिजर्व के वन्यजीवों के संरक्षण के लिए बाघ को केन्द्रित रखते हुए योजनाएं बनाई जाती है । जिसमें टाइगर रिजर्व के बफर और कोर जोन की वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखते हुए एक्शन प्लान तैयार किया जाता है जिससे टाइगर रिजर्व को और अधिक बेहतर किया जा सके ।
अचानकमार टाइगर रिजर्व इस समय 2014 में बनाये गए टीसीपी के आधार पर कार्यरत है जल्द ही 2024 में ये प्लान अंतिम चरण में है । उसके पहले ही आने वाले दस सालों के लिए योजना बनाने के लिए दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया । जिसमें 2024 से 2034 तक के लिए अचानकमार टाइगर रिजर्व के लिए दस वर्षिय टीसीपी प्लान बनाने की प्रक्रिया शुरू की गई ।
अचानकमार टाइगर रिजर्व के शिवतराई में दो दिवसीय प्रश्ज्ञिक्षण शिविर का आयोजन किया गया जिसमें महाराष्ट्र गोंदिया के नागझिरा टाइगर रिजर्व के GIS विशेषज्ञ पवन तिखले और उनकी टीम ने अचानकमार टाइगर रिजर्व के सभी परिक्षेत्रों (कोर/बफर) के समस्त फील्ड स्टाफ एवम अधिकारियो को नए टाइगर कंजरवेशन प्लान तैयार करने के संबंध में ट्रेनिंग दिया ।
देश के प्रत्येक टाइगर रिजर्व में बाघों सहित विभिन्न वनप्रणियो के संरक्षण के लिए बाघ को केंद्र में रखते हुए एक 10 वर्षीय योजना बनाई जाती है। यह योजना टाइगर रिजर्व के कोर और बफर क्षेत्र के लिए दो भागो में विभक्त रहती है जिसमे उपरोक्त दोनों क्षेत्रों की वर्तमान स्थिति – एक्सिस्टिंग ग्राउंड रियलिटी के बेस पर भविष्य के प्रबंधन हेतु योजना बनाई जाती है।
देश के सभी टाइगर रिजर्व इसी 10 वर्षीय प्लान के आधार पर संचालित होता है। बता दे कि एटीआर में वर्तमान में टाइगर कंजरवेशन प्लान (2014 – 2024) गतिशील है एवम इसी प्लान के आधार पर समस्त प्रकार कार्य चलायमान है। चूंकि उल्लेखित प्लान की अंतिम तिथि नजदीक है, इसीलिए नए प्लान बनाने की कवायद विभाग द्वारा लगातार की जा रही है। इसी क्रम में एटीआर अंतर्गत क्षेत्रीय अधिकारी/कर्मचारियों का प्रशिक्षण संपन्न हुआ।
उम्मीद है आने वाले समय में एटीआर में इस योजना का क्रियान्वयन बेहतर ढंग से होगा और देश के अन्य टाइगर रिजर्व कान्हा ,बांधवगढ,ताडोबा और नागझिरा के समान ये भी लोकप्रिय होगा और पर्यटकों को यहां के बाघों की दहाड़ भी आकर्षित करेगी । एटीआर प्रबंधन को इन योजनाओं को बनाते समय यहां निरंतर आने वाले पर्यटकों ,यहां के स्थानीय वाईल्ड लाईफ फोटोग्राफरों से भी बात करनी चाहिए और उनके भी सुझाव लेने चाहिए जिससे एटीआर की कमियों को दूर किया जा सके ।
एटीआर के डिप्टी डायरेक्टर यू आर गणेशन ने दबंग न्यूज लाईव से बात करते हुए बताया कि – एटीआर के लिए नए टीसीपी प्लान बनाने की प्रक्रिया शुरू की गई है जिसके संबंध में ये दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया गया था ये प्रक्रिया लगभग छह माह की सतत प्रक्रिया है उसके बाद पूरा प्लान दिल्ली भेजा जाएगा जहां से स्वीकृति होने के बाद योजनाएं लागू होंगी ।
उक्त प्रशिक्षण फील्ड डायरेक्टर मनोज पांडे और डिप्टी डायरेक्टर यू आर गणेश के निर्देशन और मार्गदर्शन में संपन्न हुआ। इस दौरान कोर – बफर के सहायक संचालक तथा सभी परिक्षेत्र अधिकारीगण उपस्थित रहे।