सिद्ध आश्रम जहां सिद्ध मंत्रों से पारे को जमा कर पारदेश्वर शिवलिंग की स्थापना की गई ।
शरद पूर्णिमा का दिन , हजारों की भीड़ और अपनी बिमारी दूर करने की आस लिए लोग ।
मेले , पूजा अर्चन ,किर्तन और खीर के साथ होता है विश्वास और आस्था का पर्व ।
दबंग न्यूज लाईव
सोमवार 10.10.2022
बेलगहना /कोटा – शदर पूर्णिमा का दिन , हजारों की भीड़, और औषधी युक्त खीर पाने लोगों की कतारबद्ध लाईन समय के साथ ही सभी के हिस्से आता है ये अमृत । ये आस्था का केन्द्र है बिलासपुर जिले के कोटा विकासखंड में अपनी अलग ही पहचान रखने वाले बेलगहना में ।
ये नगर कई कारणों से प्रसिद्ध रहा है यहां पर्वत पर सिद्ध बाबा का आश्रम है जहां दूर दूर से लोग अपनी मनोकामना पूर्ण होने की आस लेकर आते हैं । जो पारा कभी जमता नहीं यहां उसे सिद्ध करके शिवलिंग बनाया गया है जिसे पारदेश्वर शिवलिंग भी कहा जाता है । पारदेश्वर शिवलिंग को कांच में रखा गया है और साल में एक दिन महाशिवरात्री को इसकी विशेष पूजा अर्चना की जाती है ।
यहां लक्ष्मी नारायण मंदिर भी जहां वर्षों से शरद पूर्णिमा के दिन श्वासं और दमा से पिड़ित लोगों को औषधीयुक्त खीर का भी वितरण किया जाता है । कभी ये नगर अपने आधी रात के बाजार के लिए कभी प्रसिद्ध रहा है ।
सिद्ध बाबा आश्रम में शरद पूर्णिमा के दिन मेले और संगीत का आयोजन होता है । जहां रात भर भक्तों की भीड़ रहती है । रात के गहराने के साथ साथ ही लोगों की भीड़ लक्ष्मीनारायण मंदिर की तरफ बढ़ने लगती है जहां बारह बजे के बाद औषधीयुक्त खीर का वितरण किया जाता है । माना जाता है कि इसके सेवन से इस बीमारी में लाभ प्राप्त होता है लोगों की हर साल बढ़ती भीड़ इस विश्वास को और भी बल प्रदान करती है ।
पिछले दो साल करोना की चपेट में होने के कारण यहां आने वालों की भीड़ कम थी लेकिन इस बार फिर से वहीं भीड़ नजर आई जो करोना काल के पहले हुआ करती थी । पूरी रात श्रृद्धालुओं की भीड़ से शहर गुलजार रहा। यदि ट्रेन अपने पुराने दिन में लौट जाती तो इस भीड़ के दोगुने होने की संभावना यहां के स्थानीय लोग जता रहे है ।
शाम के रात होने और गहराने के साथ ही श्रृद्धालुओं को इंतजार रहता है औषधीयुक्त खीर का जैसे जैसे रात आगे बढ़ती है लोगों का उत्साह भी बढ़ने लगते हैं । नगर में पूरी रात रौनक रहती है और लोग औषधीयुक्त खीर के सेवन के बाद सुबह होते होते अपने गंतव्य की ओर रवाना होते हैं इस उम्मीद और विश्वास के साथ की अगली शरद पूर्णिमा को फिर से इस पावन धरा के दर्शन और औषधीयुक्त खीर ग्रहण करने पहुंचे ।