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अचानकमार टाइगर रिजर्व एकेटी 13 बाघिन की संदेहास्पद मौत ।

दो दिन तक बाघिन का शव पड़ा रहा लेकिन अधिकारियों को पता नहीं चला ।

डिप्टी डायरेक्टर और एसडीओ के फोन तक बंद ।

दबंग न्यूज लाईव

शुक्रवार 21.01.2025

Sanjeev Shukla
बिलासपुर – अचानकमार टाइगर रिजर्व में आज एक व्यस्क बाघिन मौत के बाद अचानकमार टाइगर रिजर्व के प्रबंधन पर कई सवालिया निशान लगने लगे हैं । प्राप्त जानकारी के अनुसार आज अचानकमार के लमनी रेंज में एक बाघिन एकेटी 13 का शव मिला । जानकारी के मुताबिक इस बाघिन की मौत दो दिन पूर्व ही हो चुकी थी लेकिन एटीआर के चुस्त दुरूस्त और जागरूक प्रबंधन को आज जानकारी हुई । इसी से समझा जा सकता है कि हमेशा कमरों में और आफिसों में बंद अधिकारी एटीआर के वन्य जीव खासकर बाघ के लिए कितने संवेदनशील हैं ? सवाल ये भी उठता है कि एटीआर के इतने अधिकारी , कर्मचारी और पैदल गार्ड आखिर करते क्या हैं ?

बाघिन की मौत के बाद विभाग के अधिकारीयों को औपचारिकता तो निभानी होती है इसलिए सभी वहां पहुंच गए होंगे और शाम को बाघिन का पीएम भी कर दिया गया होगा ? ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि एटीआर के डिप्टी डायरेक्टर यू आर गणेशन और एसडीओ संजय लूथर के मोबाईल बंद आ रहे थे ।


अंदरूनी सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार बाघिन की मौत की जानकारी कल से उच्च अधिकारियों को हो गई थी लेकिन आज ये दो बजे के बाद लमनी पहुंचे । अगर ये सच है तो फिर यहां की डीडी और एसडीओ पर कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए ।  इतनी बड़ी घटना के बाद भी अधिकारियों की ये लापरवाही हजम नहीं हो रही है ।

विभाग ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करके अपनी जिम्मेदारी निभा ली जिसमें कहा गया है कि लमनी के कोर क्षेत्र छिरहट्टा के जंगल में एकेटी 13 का शव प्राप्त हुआ है संभवतः टी 200 के साथ मेटिंग या टेरेटरी की लड़ाई का परिणाम हो । विस्तृत जानकारी पीएम रिपोर्ट के बाद दी जाएगी ।

मजे की बात ये है कि जिस विभाग के पास दो दिन तक इसकी मौत की जानकारी नहीं थी उसके पास तुरंत ये जानकारी आ गई कि टी 200 के साथ मेटिग या फिर टेरेटरी की लड़ाई हुई हो । जानकारों का कहना है कि एक बाघ किसी बाघिन को मेटिग के दौरान मार दे से संभव नहीं है दुसरा अचानकमार का एरिया काफी बड़ा है और यहां टाईगर भी कम है ऐसे में टेरेटरी के लिए लड़ाई हुई हो ये भी नही लगता ।

एटीआर में रेस्क्यू करके लाई गई कालर वाली बाघिन भी एटीआर से निकल गई है और अभी छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश की सीमा के पास जालेश्वर में पिछले पांच छह दिनों से जमी हुई है लेकिन एटीआर का ध्यान इस तरफ भी नहीं है । आज शाम को एटीआर की एक टीम जालेश्वर पहुंची और टाइग्रेस को ट्रेक करने में जुटी रही जबकि मध्यप्रदेश का वन विभाग सुबह शाम यहां डयूटी दे रहा है।

फिलहाल एटीआर के सारे अधिकारियों के मोबाईल बंद आना ये जरूर बताता है कि ऐसे अधिकारी जो सामने आकर अपनी जिम्मेदारी नहीं समझते उन्हें तत्काल एटीआर से हटा देना चाहिए और उनकी जगह वन्य जीवों के प्रति संवेदनशील अधिकारियों की पोस्टिंग होनी चाहिए ।

फोटो की पुष्टि दबंग न्यूज लाईव नहीं करता ।

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