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महावीर कोल वाशरी पर गलत एफआईआर करवाने का आरोप लगाया ग्रामीणों ने।

दबंग न्यूज लाईव
शनिवार 16.11.2024

कोटा/बिलासपुर – कोटा क्षेत्र जंगलों और अपने स्वच्छ पर्यावरण और प्रदुषण रहित वातावरण के लिए जाना जाता है । कोटा से लगे जंगल और पहाड़ की इसकी पहचान है लेकिन पिछले कई सालों से यहां के आस पास के क्षेत्र में कोल वाशरी और डम्पींग साईट से यहां का वातावरण खराब होने लगा है । खुरदूर के पास खुल रहे महावीर कोल वाशरी ने पूरे क्षेत्र को प्रदुषित करने का काम तो किया ही है साथ ही गांव वालों पर झुठी एफआईआर भी दर्ज करवा दी है ।


गांव वालों ने अपने खिलाफ कोटा थाने में महावीर कोल वाशरी के द्वारा झुठा प्रकरण बताकर एफआईआर करवाए जाने का विरोध किया है साथ ही उच्च अधिकारियों को इस बारे में लगातार आवेदन देते आ रहे हैं कि उनके द्वारा किसी भी प्रकार की अवैधानिक गतिविधि नहीं की गई है लेकिन अभी तक ग्रामीणों को कहीं से राहत नहीं मिली है ।
प्राप्त जानकारी के अनुसार महावीर कोल वाशरी की डंपींग साईट खुरदुुर ,खरगहनी तथा पथर्रा जैसे कई गांव की सीमाओं से लगे हुए है । कोल वाशरी खुलने के पहले जनसुनवाई भी हुई थी जहां गांव वालों ने कोल वाशरी खुलने का विरोध किया था । लेकिन कोल वाशरी का काम चालू हो गया इसके विरोध में सभी प्रभावित गांव वालों ने विरोध प्रदर्शन किया तथा जून 24 में भूख हडताल पर भी बैठे ।


भूख हड़ताल के समय कोल वाशरी की निर्माणाधीन बाउंड्रीवाल मौसम के चलते क्षतिग्रस्त हो गई जिसके बाद महावीर कोल वाशरी प्रबंधन ने गांव वालों के खिलाफ एफआईआर करवा दी ।

एफआईआर होने के बाद गांव वालों ने कलेक्टर ,एसडीएम और एसडीओपी को इस संबंध में आवेदन देते हुए कहा कि गांव वालों ने भूख हड़ताल के पहले प्रशासन को इसकी सूचना दी थी और उसके बाद वे विरोध प्रदर्शन पर बैठे । लेकिन 24 जून को प्राकृतिक आपदा के कारण बाउंड्रीवाल गिर गई जिससे कुछ प्रदर्शनकारियों को चोट आई जिनका ईलाज कोटा हास्पीटल में हुआ । बाद में प्रदर्शन की जगह बदल कर गांव के ही एक व्यक्ति के बरामदे में इसे जारी रखा गया । महावीर कोल वॉशरी जिस जगह को अपना आफिस बता रही है उसे कभी भी महावीर कोल वाशरी ने अपने नाम से किराए पर नहीं लिया था और ना ही मकान मालिक से ऐसा कोई किरायानामा बना है । जबकि कोल वाशरी से जुड़े अरूण जैन नामक व्यक्ति ने थाने में शिकायत की है कि महावीर कोल वाशरी के आफिस एवं लेबर रूम में जबरदस्ती घुस कर तोड़फोड़ किया गया है जो कि गलत है ।

उच्च अधिकारियों को दिए गए आवेदन में जिस मकान में ग्रामीणों द्वारा तोड़फोड़ करने के आरोप में गांव वालों पर एफआईआर दर्ज हुई है उसके मकान मालिक द्वारा जांच के समय दिए गए कथन का भी उल्लेख है जिसमें मकान मालिक ने बताया है कि मेरे मकान को रेलवे का काम चालू होगा करके धोखे से किराए पर लिया गया एक कमरे एवं बरामदे को पंप और अपने अपयोग के लिए मैने रखा था जहां मेरी सहमती से आंदोलनकारियों को धरना प्रदर्शन के लिए दिया गया था । गांव वालों ने अपने खिलाफ गलत एफआईआर को निरस्त करने की मांग उच्च अधिकारियों से की है ।

इस संबंध में कोटा एसडीएम का कहना था कि – ” गांव वालों ने आवेदन तो दिया है लेकिन इधर लगातार छुट्टीयों के चलते इस पर काम नहीं हो पाया जल्द ही गांव वालों से बात की जाएगी ।”
बहरहाल जब तक इस मामले की पूरी निष्पक्ष जांच नही हो जाती तब तक गांव वालों के लिए ये परेशानी का सबब तो बना ही हुआ रहेगा ।

 

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