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प्रदेश में उच्च शिक्षा विभाग के नाम बस में उच्च है बाकी सब काम में फिसड्डी ही है ।

यूजीसी के नियमों की धज्जियां उड़ाता प्रदेश का उच्च शिक्षा विभाग ।

दबंग न्यूज लाईव
मंगलवार 30.04.2024

रायपुर – प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग की कई खामियों की खबर दबंग न्यूज लाईव ने समय समय पर प्रकाशित की है । प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग में तैनात अधिकारी ना तो यूजीसी के नियम मानते है और ना ही प्रदेश सरकार के ऐसे में इनके अड़ियल रवैये का खामियाजा कई योग्य लोगों को उठाना पड़ता है ।


उच्च शिक्षा ने फिर से यूजीसी के नियमों की अनदेखी करते हुए कई पात्र लोगों का हक मारने का काम किया है । प्रदेश के शासकीय महाविद्यालयों में पदस्थ सहायक प्राध्यापकों को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नियमो के तहत तय समय पर कैरियर एडवांसमेंट के लाभ दिया जाता है।


यूजीसी के नियम अनुसार पी एच डी उपाधि धारक को 4 साल में वरिष्ठ वेतनमान देने का प्रावधान है। इस सम्बंध में यूजीसी ने 2015 को पृथक के स्पस्टीकरण जारी किया है कि यदि कोई व्यक्ति नौकरी में आने के बाद 4 साल के अंदर पी एच डी कर लेता है तो वह भी वरिष्ठ वेतनमान के लिए योग्य होगा ।


परन्तु राज्य शासन यूजीसी के नियमो का खुलकर उलंघन करता नजर आ रहा है। 2012 में महाविद्यालयों में पदस्थ सहायक प्राध्यापकों को 2016 में वरिष्ठ वेतनमान 2021 में प्रवर वेतनमान एवम 2024 में 9000 ग्रेड पे मिलना था 8 साल बाद तक वरिष्ठ वेतनमान नही मिल पाया है। इस वजह से इन्हें ना सिर्फ आर्थिक नुकसान हो रहा परन्तु उनके कैरियर में भी ठहराव आ गया है।

सहायक प्राध्यापकों के अनेक बार विभाग को पत्र लिखने के बाद भी जब कोई कार्यवाही नही हुई तो प्रदेश के लगभग 160 सहायक प्राध्यापकों ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायलय में याचिका दायर की। उसके बाद उच्च शिक्षा संचालनालय में वरिष्ठ वेतनमान देने की प्रक्रिया प्रारंभ की गई। लेकिन ऐसी खबर है कि आयुक्त उच्च शिक्षा ने इसमे भी एक पेंच फंसा दिया है।

यूजीसी नियम, यूजीसी का स्पस्टीकरण 2015 में यह लिखा है कि नौकरी में आने के 4 साल के अंदर कोई पी एच डी उपाधि प्राप्त कर ले तो उसे 4 साल में ही वरिष्ठ वेतनमान देना है इसके अलावा छत्तीसगढ़ शासन के उच्च शिक्षा भर्ती नियम 2019 में भी इस बात का उल्लेख है कि केरियर एडवांसमेंट स्कीम यूजीसी के अनुसार होगी उसके बावजूद आयुक्त कार्यालय के अधिकारी इस नियम को दरकिनार करके जिन सहायक प्राध्यापकों ने नौकरी में आने के 4 साल के अंदर पी एच डी की है उन्हें 4 की बजाय 6 साल में वरिष्ठ वेतनमान देने का काम कर रहे है।

सूत्रों से ये भी पता चला है कि मंत्रालय से निर्देश प्राप्त होने के बावजूद भी संचालनालय के अधिकारी नियमो की धज्जियाँ उड़ाने की तैयारी में है। इसको लेकर प्रदेश के सहायक प्राध्यापकों में रोष है, उनका कहना है कि संचालनालय में बैठे अधिकारियों की गलत नीति सेे राज्य शासन की छबि धूमिल होती है एवम न चाहते हुए भी शासन के विरुद्ध न्ययालय की शरण मे जाना पड़ता है। इस सम्बंध में उन्होंने उच्च शिक्षा विभाग के मंत्री एवम सचिव से अनुरोध किया है कि इस गंभीर मामले में संज्ञान लेकर यूजीसी के नियमो के तहत वरिष्ठ वेतनमान दिलाने का कष्ट करें।

उच्च शिक्षा विभाग की आयुक्त श्रीमती शारदा वर्मा से जब इस बारे में जानकारी चाही गई तो उनका कहना था – इस बारे में हम लगातार हर शुक्रवार को बैठक कर रहे हैं और जल्द ही इस बारे में आदेश पारित हो जाएगा ।

इस संबंध में उच्च शिक्षा विभाग के अपर संचालक और स्क्रुटनी समिति के संयोजक डा एच पी खैरवार से जब दबंग न्यूज लाईव ने बात की तो उनका कहना था सब बेकार की बात है सब को नियम के हिसाब से ही मिलेगा । यदि चार साल की जगह छह साल में भी मिलता है तो बेक डेट से मिलेगा किसी को कोई नुकसान नहीं होगा ।

खैरवार साहब की बात सहीं है कि एरियर्स बेक डेट से मिल जाएगा लेकिन दिक्कत ये है कि जब पीएचडी करने वालों को चार साल में ही जो लाभ मिलना था वो नहीं मिल पा रहा है जिसके कारण कई तकनीकि दिक्कतें नौकरी में आने के चार साल के अंदर पीएचडी कर लेने वालों के समक्ष आ रही हैं और इस बात का जवाब देने वाला उच्च शिक्षा विभाग में कोई नहीं है । 

मजे की बात ये है कि सरकार एक तरफ तो नेशनल एजुकेशन पालिसी लागू करने जा रहा है वही शिक्षकों के मनोबल को तोड़ने का प्रयास उच्च शिक्षा संचालनायल के अधिकारी करने में लगे है। 

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