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चार साल हो गए दर दर भटकते , ना मिली अनुकंपा नियुक्ति ना फंड के पैसे ।

चरचा कालरी प्रबंधन का अड़ियल रवैया ।
अदालत के आदेश की भी कर रहे तौहिन ।

दबंग न्यूज लाईव
बुधवार – 24.06.2020

बैकुण्ठपुर – चार साल से एक श्रमिक का परिवार चरचा कालरीे आफीस के चक्कर लगा लगा कर थक गया । चार साल पहले श्रमिक की मौत डयूटी के समय हो गई नियमानुसार मृतक श्रमिक के परिवार के किसी सदस्य को नौकरी देनी थी लेकिन श्रमिक के बच्चे छोटे छोटे हैं ऐसे में नौकरी श्रमिक की विधवा को मिल जानी थी और श्रमिक के फंड का पैसा भी प्रबंधन को रिलिज कर देना था । लेकिन ये अपना देश है यहां यदि आपका जुगाड़ है तो मरने के बाद भी मृतक के परिवार वाले पेंशन और आवास ले ले नहीं है तो जीते जी चक्कर लगाते रहो । इस मामले में तो चरचा कालरी ने सारी हदें पार कर दी अदालत के आदेश को भी अपनी टेबल के ड्राज में डाला तो दो साल से निकाला ही नहीं ।


पूरा मामला एसईसीएल बैकुंठपुर क्षेत्र अंतर्गत चर्चा कॉलरी के पूर्व स्वर्गीय श्रमिक की विधवा पत्नी व चार मासूम बच्चे दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं लगातार आवेदन करने के बावजूद प्रबंधन द्वारा न तो अनुकंपा नियुक्ति दी जा रही है और ना ही सीएमपीएफ ग्रेजुएटी आदि अन्य भुगतान किए जा रहे है ।


चर्चा कॉलरी के कर्मचारी बृजलाल पिता जगर शाय का निधन 22 अप्रैल 2016 को सेवाकाल के दौरान हो गया था बृजलाल अपनी पत्नी श्रीमती व 4 छोटे मासूम बच्चों के साथ चर्चा के विभागीय आवास में रहता था पति की मृत्यु के बाद बृजलाल की पत्नी श्रीमती ने प्रबंधन के समक्ष कई बार आवेदन प्रस्तुत कर नौकरी देने व पति के शेष देयको का भुगतान करने हेतु निवेदन किया किंतु प्रबंधन ने इस मामले में कोई संज्ञान नहीं लिया ।

चर्चा शहक्षेत्र प्रबंधक कार्यालय का चक्कर काटते काटते थक चुकी महिला ने कहा कि पति की मृत्यु के उपरांत विगत 4 वर्षों से छोटे-छोटे 4 बच्चों व स्वयं अपने के लिए दो वक्त की रोटी के जुगाड़ हेतु मजदूरी करना पड़ता है दिनभर की हॉड तोड़ मेहनत के बाद 200 रू.मिलते हैं इससे बच्चों के भोजन के अतिरिक्त कपड़े दवाइयां पढ़ाई लिखाई सभी चीजें दैनिक आवश्यकताओं की चीजों का इंतजाम करना बेहद मुश्किल है कई बार बीमार होने की वजह से काम नहीं कर पाती हूं जिससे आर्थिक तंगी के कारण घर में बच्चों को भूखा रहना पड़ता है कुछ लोगों ने मदद की लेकिन अब वह भी बंद हो गया है समस्त दस्तावेजों के पूर्ण होने के बावजूद मेरे व मेरे बच्चों के साथ प्रबंधन द्वारा कोई सहानुभूति नहीं दिखाई गई ।

न्यायालय द्वारा 21 जनवरी 2019 को आदेश पारित कर श्रीमती पति बृजलाल व उसके 4 मासूम बच्चों संध्या सिंह उम्र 9 वर्ष पवन सिंह उम्र 6 वर्ष सागर सिंह उम्र 4 वर्ष व दीपक सिंह उम्र 3 वर्ष को वैधानिक उत्तराधिकारी घोषित किया बृजलाल की विधवा पत्नी श्रीमती ने न्यायालय के आदेश के साथ चर्चा कालरी प्रबंधन के समक्ष दिनांक 30 सितंबर 2019 को आवेदन प्रस्तुत किया किंतु प्रबंधन के द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया इसके पश्चात पुनः श्रीमती सिंह के द्वारा 24 दिसंबर 2019 को भी आवेदन दिया गया किंतु प्रबंधन द्वारा कोई भी जवाब नहीं दिया गया ।

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