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ऐसा भ्रष्टाचार और कहां पार्ट 02 – रेंजर विजय साहू और डिप्टी रेंजर जोशी पर होना चाहिए अपराध दर्ज ।

स्टापडेम में नाबालिग बच्चों से करवाया जा रहा मजदूरी ।
बालआयोग और श्रम विभाग को मामले में संज्ञान लेना चाहिए ।

डेम बनाने के लिए काटे सैकड़ों पेड़ लेकिन उसका कोई हिसाब नहीं ।

दबंग न्यूज लाईव
शनिवार 13.06.2020

 

बेलगहना –  वन विभाग में लाखों करोड़ो के सिविल वर्क बिना किसी इंजिनियर के ही विभाग अपने रेंजरों और अन्य कर्मचारियों के भरोसे करवा देता है । दिखाने के लिए मटेरियल के टेंडर होते हैं और खाने के लिए काम विभागीय होते है। लेकिन ये विभागीय काम सिर्फ कागजों पर होते है जबकि सारे काम ठेकेदारों से करवाए जाते हैं । आपने पहले अंक पर बेलगहना रेंज के छुहिया में बन रहे स्टापडेम में हो रहे भ्रष्टाचार और नाबालिक बच्चों से मजदूरी कराने की कहानी पढ़ी अब इस स्टाप डेम में हो रही अनियमितताओं का दुसरा पार्ट पढ़िए ।


कई पेड़ काटे लेकिन किसी में हैमर नहीं लगाया – फारेस्ट का नियम है कि पेड़ के कटते ही उसमें हैमर लगाया जाए और नम्बर डाला जाए । यहां सैकड़ों पेड़ काट दिए गए लेकिन किसी भी पेड़ में नम्बर नहीं डाले गए । पेड़ों के ठूंठ बचे हैं लेकिन उपर का पूरा पेड़ कहा  गया इसकी जानकारी नहीं है । जबकि होना ये चाहिए कि हर पेड़ पर नम्बरिंग हो और उसे निलामी के लिए डिपो भेजा जाए । विभाग के अधिकारी ठेकेदार से मिलकर इन सैकड़ों पेड़ो की लकड़ियों को भी ठीकाने लगा चुके हैं । ये जांच होनी चाहिए कि ताजा कटे पेड़ कहां गए ? क्या पेड़ काटने की अनुमति थी ? यदि थी तो फिर वो सब पेड़ कहां है ? पेड़ो की ठुंठ पर कोई भी नम्बरिंग क्यों नहीं की गई ?


ठेकेदार कर रहा है मजदूरी भुगतान लेकिन रेंजर को पता ही नहीं – जंगल के अंदर बन रहे पचास लाख के स्टाप डेम को यदि विभाग बना रहा है तो मजदूरी भुगतान का भी नियम है । मजदूरों को ं मजदूरी का भुगतान बकायदा हाजरी लेकर ब्हाउचर के द्वारा किया जाना चाहिए लेकिन यहां के किसी भी मजदूर की हाजरी विभाग नहीं लेता और ना ही उनको भुगतान करता है ये सब काम ठेकेदार करता है । दो सौ रूपए की मजदूरी भी ठेकेदार ही देता है ।


इस बारे में रेंजर विजय साहू का कहना था कि -सभी का ब्हाउचर से भुगतान किया जाएगा अभी बजट आया नहीं है इसलिए भुगतान नहीं हुआ है । तो फिर सवाल ये उठता है कि दो सौ रूपए की मजदूरी कौन बांट रहा है ? यदि विभागीय काम हो रहा है तो मजदूरों को हर हफते मजदूरी भुगतान कैसे हो रही ? क्या रेंजर अपनी जेब से दे रहे ? या ठेकेदार दे रहा ? यदि विभागीय काम है तो ठेकेदार क्यों भुगतान कर रहा ? ये भी सवाल पूछा गया लेकिन इसका कोई जवाब रेंजर विजय साहू के पास नही था ।

यहां काम करने वाले कई बाल मजदूरों ने बताया कि वो यहां दो सौ रूपए रोजी में काम कर रहे हैं । कभी भी वन विभाग के किसी कर्मचारी ने उनकी हाजरी नहीं ली ना ही भुगतान किया ये सब काम राजू नाम का व्यक्ति करता है जो कि ठेकेदार का आदमी है ।

रेंजर विजय साहू

इस संबंध में जब बेलगहना के रेंजर विजय साहू से बात की गई तो वे अपने ही जवाब में उलझते चले गए । विजय साहू का कहना था कि काम विभाग ही करवा रहा है ठेकेदार का काम सिर्फ मटेरियल सप्लाई का रहता है । जब उनसे ये पूछा गया कि यदि काम विभाग करवा रहा है तो नाबालिक बच्चों को कैसे काम पर रख लिया गया ? उनका जवाब बड़ा हास्यास्पद था कि बच्चे मां बाप के साथ आ जाते हैं फिर काम करने लगते हैं वैसे कोई नाबालिक बच्चा यहां काम नहीं कर रहा है । उन्हें बताया गया कि एक दो नहीं दर्जनों नाबालिक बच्चे काम कर रहे हैं एक दो दिन नहीं महिनों से कर रहे है इसका उनके पास कोई जवाब नहीं था ।


रेंजर विजय साहू के द्वारा करवाए जा रहे इन कामों की जांच होनी चाहिए । स्टाप डेम के काम में भले भ्रष्टाचार हो जाए लेकिन छोटे छोटे मासूम बच्चों से मजदूरी कराने के लिए रेंजर विजय साहू ,डिप्टी रेंजर जोशी और वन विभाग के अधिकारियों पर बालश्रम कानून के तहत अपराध दर्ज होना चाहिए ।

 

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