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एक बाघिन जिसने तय किया 400 किमी का सफर ।

पेंच टाइगर रिजर्व से अचानकमार टाइगर रिजर्व पहुंची बाघिन ।

2023 से अचानकमार को बनाया अपना आशियाना ।

दबंग न्यूज लाईव
गुरूवार 17.10.2024

Sanjeev Shukla
बिलासपुर – जंगल और उसके जीव दोनों ने ही इंसानों को कई बार आश्चर्यचकित किया है और यदि यह जीव बाघ हो तो फिर दिलचस्पी और ज्यादा बढ़ जाती है । यूं भी भारत में बाघों को सुरक्षित करने के कई उपाय किए जा रहे हैं । यहां के टाइगर रिजर्व में बाघों की गिनती लगातार बढ़ रही है साथ ही इनके शिकार के भी कई मामले सामने आते रहते हैं । टाइगर रिजर्व पर्यटन और वन्य जीवों के बारे में जानने के दृष्टिकोण से बेहतर जगह हैं ।


लेकिन आज एक ऐसी बाघिन के बारे में बात किया जा रहा है जिसने एक दो और दस नहीं पूरे चार सौ किमी का सफर तय किया है । इस बाघिन ने मध्यप्रदेश के पेंच टाइगर रिजर्व से 2022 में अपना सफर शुरू किया था और 2023 में इसे अचानकमार टाइगर रिजर्व में देखा गया औैर तब से ये बाघिन अचानकमार टाइगर रिजर्व में की अपनी नई टेरेटिरी में है ।


ये घटना तब सामने आई जब भारतीय वन्य जीव संस्थान के टाइगर सेल के विशेषज्ञों को अचानाकमार टाइगर रिजर्व प्रबंधन के द्वारा एक बाधिन के फोटोग्राफस उपलब्ध कराए । यहां के वैज्ञानिकों ने जब मध्य भरत के विभिन्न क्षेत्रों के टाइगरों के डाटाबेस का मिलान किया तो वे भी आश्चर्य चकित हो गए जब उन्होंने इस बाघिन का कनेक्शन पेंच टाइगर रिजर्व का होना पाया ।


अचानकमार टाइगर रिजर्व प्रबधंन के अनुसार 2023 के शीत ऋतु से पूर्व से ही इस बाघिन को यहां देखा जा रहा था । जबकि पेंच टाइगर रिजर्व के अधिकारियों के अनुसार 2022 तक ये बाघिन पेंच टाइगर रिजर्व के कर्माझिरी और घाटकोहका परिक्षेत्र के टेªप कैमरे में देखी गई थी ।

पेंच टाइगर रिजर्व से अपने नए आवास की तलाश में निकली इस बाघिन को अपना नया आवास मिला अचानकमार टाइगर रिजर्व का घना और बेहतरीन जंगल । जहां इसने अपनी टेरेटरी बनाई और यहां के जंगल में रच बस गई ।
ये पहला मौका नहीं है जब किसी अन्य टाइगर रिजर्व से बाघ अचानकमार में आए हों इसके पहले भी बांधवगढ़ की एक बाघिन अचानकमार में मिली थी जिसकी बाद में कानन में ईलाज के दौरान मौत हो गई थी ।

एटीआर के डिप्टी डायरेक्टर यू आर गणेशन ने दबंग न्यूज लाईव से बात करते हुए कहा कि – ये एटीआर ,पेंच एवं सेंट्रल इण्डियन लैंडस्केप के लिए अच्छी खबर है । कारीडोर की प्लानिंग और सशक्तिकरण करवाने में ये डेटा सहायक होंगी ।

पेंच टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर रजनीश सिंह का कहना था – वन्य जीव प्रेमियों के लिए यह हर्ष और गौरव का क्षण है । एक बाघिन ने लगभग 400 किमी के अधिक की दूरी तय की और अपना नया ठिकाना बनाया है । इससे कारीडोर के संरक्षण की आवश्यकता एवं महत्व को समझने में मदद मिलेगी ।

बाघों का एक क्षेत्र से निकलकर दुसरे क्षेत्र में जाना बाघों का नैसर्गिक स्वभाव और व्यवहार में शामिल रहा है । बाघ एक समय के बाद अपने परिवार से अलग होकर अपनी खुद की टैरेटरी बनाने लगते हैं और ऐसे में नए ईलाके ढूढंते हैं । जब इंसानी घुसपैठ जंगलों में ना रही हो और विकास के नाम पर इंसानों ने जंगलों को ना उजाड़ा होगा तो ये बाघ और अन्य वन्य जीव आसानी से एक जंगल से दूसरे जंगल की तरफ गश्त करते हुए पहुंच जाते होंगे । लेकिन इंसानों ने इनके रास्तों को बंद करने का काम किया है साथ ही इनके आवास भी छोटे होते जा रहे हैं ऐसे में टाइगर रिजर्वों को जोड़ने वाले कॉरीडोर इनके लिए काफी महत्वपूर्ण है और इसके साथ ही अधिकारियों और सरकार की जिम्मेदारी भी बढ़ जाती है कि वो इन कारीडोर को सरंक्षण प्रदान करें और यहां सुरक्षा के विशेष उपाय अपनाए । वैसे इस बाघिन ने अचानकमार को अपना नया ठिकाना बनाकर छत्तीसगढ़ के वन्य प्रेमीयों को तोहफा जरूर दे दिया है ।

 

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