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सेंट्रल बैंक में पिछले बीस दिन से प्रिंटर खराब लोग हो रहे परेशान ।

मेैनेजर ने कहा – दिक्कतें बहुत हैं , यदि किसी को स्टेटमैंट या पासबुक प्रिंट कराना हो तो अपना ईमेल दे दें उसमें साफ्ट कापी भेज दी जाएगी ।

दबंग न्यूज लाईव
बुधवार-04.11.2020

 

करगीरोड – देश के बड़े बैंकों में से एक सेन्ट्रल बैंक की शाखा कोटा में भी है । अच्छा खासा लेने देने भी है , ग्राहकों की भीड़ भी है और इसी के साथ समस्याओं का अंबाऱ भी बेैक में हैं । कुछ माह बैंक जहां था उस बिल्डिंग में आग लगने के बाद काम कुछ प्रभावित होगा ये सभी को पता था लेकिन अभी तक सिर्फ उस हादसे के कारण बैंक अपने ग्राहकों को परेशान करें ये भी सहीं नहीं है ।

सेंट्रल बैंक में पिछले बीस दिनो से प्रिटंर खराब है इसलिए लोगों की पास बुक एंट्री नहीं हो पा रही है । पास बुक एंट्री ना होने और खाते का स्टेटमेैंट नहीं मिलने के कारण बहुत से शासकीय विभागों को अपने आडिट में दिक्कत आ रही है खासकर यहां जिन पंचायतों के खाते हेैं उन्हें , आडिट के अलावा लोगों को रिटर्न भरने में दिक्कत हो रही है । यदि किसी बैंक में प्रिटर जैसी अति आवश्यक चिज ही बीस दिन में ना सुधर पाए तो समझा जा सकता है कि बैंक अपने ग्राहकों की सुविधा के लिए कितना गंभीर है ।

फाईल फोटो

दबंग न्यूज लाईव ने बैंक के मैनेजर दिपक मेहता से बात की तो उनका कहना था कि – बैंक में आग लग गई थी जिसके कारण दिक्कते आई हैं । पुलिस थाने ने अपनी रिपोर्ट नहीं दी है , पटवारी की रिपोर्ट नहीं आई ,फायर बिग्रेड की रिपोर्ट नहीं आई इसके अलावा इंश्योरेंस कंपनी का क्लेम भी बाकी है । लोग जिम्मेदारी एक दुसरे के कांधे पर डाल देते हैं हमारी समस्या कोई समझ नहीं रहा । दस लोगों का स्टाफ है पांच कुर्सी और टेबल है हमारे ही बैठने की जगह नहीं है । फिर भी यदि किसी को अपने बैंक स्टेटमेंट की कापी चाहिए तो वो अपना ईमेल एड्रेस हमें दे दे हम उस पर साफ्ट कापी उपलब्ध करा देंगे । वैसे भी सब काम रायपुर से होता है अब वहां से कोई आ नहीं रहा है कोरोना के कारण ।

फाईल फोटो

हमने सेंट्रल बैंक के रिजनल आफिस भी बात की तो उनका भी कहना था कि- बैंक में आग लग गई थी इसलिए दिक्कते हैं लेकिन फिर भी हम जल्द ही कोशिश करते हैं कि वहां व्यवस्था सुधर जाए ।

बैंक प्रबंधन की बात सुनकर तो लगा कि बैंक की सारी दिक्कतो और परेशानियों को झेलने का काम उसके गा्रहकों का ही है । कोटा वैसे भी ट्रायबल एरिया है ओैर ऐसे कितने गा्रहक होंगे जो ईमेल चलाते होंगे । शायद एक प्रतिशत भी नहीं । फिर पटवारी से लेकर पुलिस और फायर ब्रिगेड से लेकर इंश्योरेंस कंपनी पर जिम्मेदारी डालने वाला बैंक प्रबंधन कुछ अपनी जिम्मेदारी समझते हुए कम से कम प्रिंटर ही ठीक करवाले और लोगों के पास बुक और स्टेटमैंट की प्रतियां उन्हें उपलब्ध करवाने लगे तो शायद ग्राहकों की कुछ परेशानियों तो दुर हों खासकर शासकीय खातों की जिन पर आडिट करवाने का दबाव है । फिर यदि बैंक के रिजनल आफिस से कोई कोरोना के डर के कारण नहीं आ पा रहा है तो कोरोना तो इतने जल्दी जाने वाला नहीं है । तो क्या ये समझा जाए कि अभी यहां की स्थिति सुधरने वाली नहीं है ।
फिर भी यदि किसी को ज्यादा ही जरूरत अपने स्टेटमैंट की हो तो वो अपना ईमेल एड्रेस बैंक को देकर उसमें जानकारी ले सकता है ।

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