कोटा का स्वास्थ्य विभाग जब खुद बिमार तो दुसरे की कैसे बचेगी जान ?
गैर जिम्मेदार कोटा बीएमओ को तत्काल हटाने की जरूरत ।
दबंग न्यूज लाईव
रविवार 01.09.2024
कोटा/बिलासपुर – कोटा का स्वास्थ्य महकमा जब खुद बिमार और रोग ग्रस्त हो तो फिर आम जनता के स्वास्थ्य का हाल क्या होगा ये पिछली दो घटनाओं से समझा जा सकता । कल पटैता में दो नवजात शिशुओं की दुखद मृृत्यु हो गई जबकि इसके पहले बेलगहना में स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों के गैरजिम्मेदाराना व्यवहार ने एक बच्चे की जान ले ली थी ।
कोटा में अस्पताल के बेहतर प्रबंधन और विकासखंड में स्वास्थ्य की सुविधाओं को लेकर यहां के बीएमओ कितने गंभीर रहते हैं ये इससे पता चलता है कि हर संवेदनशील मामले के बाद बीएमओ का फोन बंद हो जाता है या वो फिर कॉल ही रिसिव नहीं करेंगे ।
कल पटैता के दो नवजात शिशुओं की मौत टीकाकरण के बाद हो गई । क्यों हुई ? और इस सबके पिछे कोैन जिम्मेदार है ये जांच के बाद पता चलेगा यदि जांच निष्पक्ष और सहीं हो गई तो वर्ना जांच के बाद मामले को रफा दफा करने के कई बहाने विभाग तलाश ही लेगा और स्वास्थ्य विभाग में तो जो डाक्टर बोल दे वही सच माना जाता है ।
वैेसे भी डाक्टरों ने दो मासूम नवजात की मौत का कारण तो बता ही दिया है । एक बच्चे की मौत इंफेक्शन से और एक बच्चे की मौत बुखार से होना बताया । मतलब जब जवाबदारी ही किसी की नहीं है तो फिर जिम्मेदार तो कोई हो ही नहीं सकता ।
सरकार मातृ और शिशु मृत्यु दर कम करने के लिए कई कार्यक्रम चलाती है और इसी में से एक है टीकाकरण लेकिन इसी टीकाकरण के बाद पटैता में कल दो नवजात शिशुओं की मौत हो गई मामला जब सामने आया तो स्वास्थ्य विभाग में हडकंप तो मचना ही था आनन फानन में उस दिन पटैता में बाकी जिन अन्य शिशुओं को टीका लगा था उन्हें एहतियातन अस्पताल में विशेष देखभाल में रखा गया ।
इस दुखद घटना में पटैता कोरीपारा की सत्यभामा पति रविन्द्र का दो माह का शिशु और धनेश्वरी पति राकेश गंधर्व का मात्र एक दिन का बच्चा था । टीकाकरण के बाद बच्चों का शरीर जब नीला पड़ने लगा तो घर वाले घबराए लेकिन जब तक कुछ समझ पाते दोनों नवजात बच्चों की मृत्यु हो गई ।
परिवार और गांव वालों ने जब टीकाकरण को जिम्मेदार माना तो जिले के बड़े अधिकारी ने कुछ घंटों के लिए दो शिशु रोग विशेषज्ञों को भेज कर अपनी जिम्मेदारी पूरी की । बड़े अधिकारी ने बाद में कहा कि टीकाकरण में इस्तेमाल सभी टीको का बैच सील किया गया है और जांच के लिए भेजा गया है । उन्होंने शिशुओं की मौत का कारण भी बता दिया कि एक दिन के बच्चे को इफेक्शन के चलते बर्थ डोज नहीं लगा था और दुसरे शिशु को बुखार था ।
ब्लाक के बीएमओ को तो कुछ कहना ही नहीं रहता । बेलगहना में हुई बच्चे की मौत के समय भी इन्होंने कुछ नहीं कहा था बस कुछ लोगों को यहां से वहां करके अपनी जिम्मेदारी निभा ली थी ।
कोटा सामुदायिक अस्पताल की गंदगी और अव्यवस्था देख आप यहां पांच मिनट भी नहीं रूक सकते । बदबू और गंदगी इतनी कि भला आदमी बीमार हो जाए । यहां तक कि यहां मरीजों को देखने के लिए डाक्टर और मरीज के बीच एक दीवाल है और खिड़की के एक तरफ डाक्टर और दुसरी तरफ मरीज होते हैं ऐसे में डाक्टर क्या इलाज करते होंगे समझ जाईए ।
इस गंभीर मामले की विस्तृत और निष्पक्ष जांच होनी चाहिए कि आखिर खामी कहां रह गई ? क्या वैक्सीन में कुछ गड़बड़ी थी ? क्या वैक्सीन को सहीं तरीके से रखा गया था या नहीं ? क्या वैक्सीन के बाद जो समझाईस परिवार वालों को दी जाती है वो दी गई थी या नहीं ? और क्या सिर्फ वैक्सीन लगाने के बाद स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी खतम हो जाती है ? क्या उसे वैक्सीन लगने के बाद बच्चों का फालोअप कुछ घंटों के बाद नहीं लेना चाहिए ? ये ऐसे सवाल हैं यदि इन पर विचार कर लिया जाए तो स्वास्थ्य विभाग कुछ बेहतर सुविधा अपने मरीजों को दे सकता है लेकिन ऐसा होगा लगता नहीं ।
बहरहाल यदि इन सवालों के जवाब मिल भी जाएं तो भी कोटा में स्वास्थ्य सुविधाएं जीरो हैं जिम्मेदारों को इसे बेहतर करने की दिशा में ठोस उपाय करने होंने ।