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कोंचरा पंचायत का अनोखा कारनामा लीज की रकम लेने के बाद भी लीज किया निरस्त ।

अंदरूनी जानकारी के अनुसार जांच रिपोर्ट आफिस से गायब ।

दो स्तर पर जांच तो हुई लेकिन कार्यवाही शून्य ।
पीड़ित महिला समूह लगा रहा अधिकारियों के चक्कर ।

दबंग न्यूज लाईव
गुरूवार 29.08.2024

करगीरोड कोटा/कोंचरा – आपने लीज की राशि जमा न करने पर लीज निरस्त होते देखा और सूना होगा लेकिन आज कोटा जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत कोंचरा का एक अनोखा कारनामा भी सुन लिजिए जिसने महिला समूह से नीलामी के बाद लीज की राशी की दो किश्त 2600 और 5200 लेने के बाद भी लीज को निरस्त कर दिया ।


प्राप्त जानकारी के अनुसार कोंचरा ग्राम पंचायत में 18 अगस्त 2021 को तालाब की नीलामी हुई जिसमें 2600 रूपए सालाना रकम पर गांव के ही महामाया महिला समूह को दस सालों के लिए तालाब को लीज पर दिया गया । महिला समूह ने 2600 रूपए 18 अगस्त 2021 को ही जमा कर दिया । इसके बाद से तीन साल तक पंचायत ने महिला समूह को प्रस्ताव ही नहीं दिया जबकि नीलामी और लीज प्रक्रिया के तुरंत बाद पंचायत को ये प्रस्ताव देना था ।

18.08.2021 को लीज की प्रथम किश्त ।

एक साल बितने के बाद जब पंचायत ने सालाना रकम 2600 की मांग की तो महिला समूह ने पहले प्रस्ताव देने की बात कही लेकिन पंचायत ने प्रस्ताव नहीं दिया । इस बीच महिला समूह ने तालाब में मछली पालन के लिए मछली बीज भी डाल दिया था । और बेलगहना ग्रामीण बैंक से तीन लाख रूपए का लोन मछली पालन के ले लिया ।

             22.08.2023 को लीज की किश्त ।

महिला समूह का आरोप है कि अपने किसी नजदीकी को तालाब देने के चक्कर में पंचायत उन्हें प्रस्ताव नहीं दे रहा था तथा 25 अगस्त 2023 को एक तरफा लीज को निरस्त कर दिया जबकि हमने 22 अगस्त 23 को ही 5200 रूपए दो साल के लीज की राशि पंचायत में जमा करवाई थी ।

मत्स्य नीरिक्षक की रिपोर्ट ।

पंचायत ने महिला समूह से लगभग 7800 की राशि लेने के बाद भी 25 अगस्त 2023 को महिला समूह की लीज को निरस्त करते हुए किसी दुसरे को दे दिया और मजे की बात तो ये है कि इस बार की नीलामी पिछली नीलामी की राशि 2600 से पूरे एक हजार रूपए कम याने 1600 में दिया गया याने सीधा सीधा पंचायत को दस हजार का आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा ।

महिला समूह ने इस पूरे मामले की शिकायत सीईओ जनपद पंचायत से लेकर लोक सुराज तक में कर डाली है लेकिन उन्हें राहत कहीं से भी नहीं मिल पाया । हुआ बस इतना कि इस मामले में दो स्तर पर जांच समिती बनी जिसमें एक में आर के खरे और दुसरी जांच का जिम्मा नायाब तहसीलदार को दिया गया दोनों ही जांच में जांच अधिकारी ने कई बिंदुओं पर ग्राम पंचायत के सचिव को दोषी माना लेकिन जांच के बाद जो अमूमन होता है वही हुआ जांच फाईल किसी और फाईल के अंदर दब गई और जानकारी तो ये भी है कि कार्यालय से ये जांच फाईल ही गायब हो गई है ।

एक तरफ सरकार महिला समूह को आर्थिक रूप से मजबूत करने की दिशा में कई कार्यक्रम चला रही है दुसरी तरफ इस तरह के पंचायत महिला समूहों आर्थिक दलदल में फंसा रही है । कल ही कोटा एसडीएम ने कुछ महिला समूहों को मछली पालन का पट्टा वितरित किया है और आज इसी विकासखंड से एक समूह के साथ हो रहे अन्याय की खबर सामने आ रही है ।

महिला समूह की अध्यक्ष ने बताया कि उन्होंने मछली पालन के लिए ग्रामीण बैंक बेलगहना से एक साल पहले तीन लाख रूपए का लोन भी निकलवाया था जिसकी किश्त अब महिला समूह को बिना इकम के ही भरना पड़ रहा है , साथ ही जो मछली बीज हमने तालाब में डाला था उसमें भी नुकसानी हो गया ।

कोंचरा पंचायत के आर्थिक अनियमितता की एक और जानकारी प्राप्त हुई है । कोंचरा पंचायत ने यहां के एक और तालाब की नीलामी छब्बीस हजार सालान में की थी लेकिन बाद में उसे भी निरस्त करके मात्र पच्चीस सौ रूपए में दुसरे को दे दिया । याने पंचायत ने यहां भी प्रति साल लगभग तेईस हजार का नुकसान उठाया यदि दस साल का जोड़ लिया जाए तो ये राशि लाखों में होती है ।

इस पूरे मामले में ग्राम पंचायत के सचिव छोटेलाल पटेल ने गोल मोल जवाब देते हुए कहा कि प्रस्ताव दिया गया था लेकिन समूह ने बोला कि ऐसा प्रस्ताव नहीं होना तब मैने बोला कि जैसा होना लिखवा के ले आओ हम सील ठप्पा लगा देगें लेकिन उन्होंने लाया ही नहीं । अब सचिव साहब को प्रस्ताव लिखते नहीं आता ये भी अजब मामला है जबकि प्रस्ताव देने की जिम्मेदारी पंचायत की होती है ।

जांच दल को ये भी देखना था कि आखिर उंचे दरों पर होने वाली निलामी को निरस्त करके कम दर पर क्यों लीज दिया गया ? और इसके पीछे किसे फायदा हुआ ? बहरहाल देखना होगा पंचायत की इस दादागीरी पर प्रशासन कैसा रूख अख्तियार करता है ।

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