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गौशाला को लेकर बढ़ता विवाद ,आखिर कौन जिम्मेदार ?

पंचायत ने लगाए प्रशासन पर आरोप ,नहीं सुनी समस्या इसलिए हुआ ये सब ।

दबंग न्यूज लाईव
रविवार 28.07.2024

करगीरोड कोटा – कोटा से लगे ग्राम पंचायत कुंवारीमुड़ा की रिक्त भूमि पर गौ आश्रय खोलने के मामले ने विवाद का रूप ले लिया । ये विवाद इतना बढ़ा कि कुंवारीमुड़ा ग्राम पंचायत के लोगों ने कल सुबह सुबह बड़ी संख्या में गौ आश्रय स्थल पहुंच कर निर्माणाधीन शेड और बोर्ड को क्षतिग्रस्त कर दिया । जानकारी के बाद अधिकारियों ने गांव के सरपंच और जनप्रतिनिधियों को अपने आफिस बुलाया लेकिन पहले से ही आफिस जाकर थक चुके ग्रामीणों ने आफिस ना जाने का फैसला किया । ऐसे में एसडीएम ,एसडीओपी , तहसीलदार और टीआई के साथ ही बड़ी संख्या में कर्मचारी घटना स्थल पर पहुंच गए ।


इस विवाद की जड़ जानने के लिए काफी पिछे जाना पड़ेगा । ग्राम पंचायत कुंवारीमुड़ा पहले ग्राम पंचायत चंगोरी का आश्रित ग्राम था । उस समय यहां की पंचायत ने दो लोगों के नाम पर गौ शाला के लिए इस जमीन को लीज में दे दिया । बाद में कुंवारीमुड़ा जब अलग पंचायत बना तो इस मामले की फाईल कुंवारीमुड़ा पंचायत पहुंच गई । पंचायत ने देखा कि जिसे लीज दिया गया था उसने कई साल से लीज का पैसा ही नहीं पटाया है ।

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ऐसे में पंचायत ने नोटिस जारी करते हुए लीज की रकम पटाने या जमीन खाली करने के लिए कहा  । पंचायत के कहने के बाद भी जब जमीन खाली नहीं हुई तो पंचायत ने उच्च अधिकारियों के संज्ञान में इस मामल को लाया । पंचायत के सरपंच और ग्रामसभा के सभापति का कहना था कि इस बारे मंें वे कई बार अधिकारियों से शिकायत कर चुके थे लेकिन उन्होंने इस मामले को संज्ञान में नहीं लिया ।


इस बीच ये हुआ कि ज्यादा विवाद होने की स्थिति में प्रशासन ने यहां कार्यवाही करते हुए इस जगह पर कोटवारों की डयूटी लगा दी जिन्हें गायों को दाना पानी देने के लिए कहा गया ।

नगर के बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने जो कि गौ सेवा के लिए काम करता है और गौ मांस के खिलाफ जिसने अभियान छेड़ रखा है उसने कोटा एसडीएम से किसी जगह की मांग की जहां लावारिस और पीड़ित गाय को रखा जा सके और उनकी सेवा की जा सके । बजरंग दल के इस आवेदन पर कोटा एसडीएम ने उन्हें मौखिक रूप से उक्त जगह पर गायों को रखने की परमिशन दे दी । इसके बाद बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने यहां पर शेड का निर्माण करना शुरू कर दिया ।


लेकिन पंचायत जो अपनी जमीन के लिए सालों से संघर्ष कर रहा था उसने फिर से तहसील में आवेदन देते हुए पंचायत की जमीन को उसके सुपुर्द करने की मांग प्रशासन से की । और एक आवेदन बजरंग दल के कार्यकर्ताओं के साथ ही उच्च अधिकारियों को भी दिया जिसमें शनिवार 27 तारीख तक जगह खाली करने की बात कही ।


शनिवार के दिन तक जगह खाली नहीं होने पर कुंवारीमुड़ा ग्राम पंचायत के सैकड़ों लोग उक्त गौशाला में पहुंचे शेड वगैरह को क्षतिग्रस्त कर दिया । जिसके बाद प्रशासन के आला अधिकारी मौके पर पहुंचे और लोगों को समझाईश देकर मामले को शांत कराते हुए उक्त भूमि को पंचायत के सुपुर्दनामें में किया ।

लेकिन इन सबके बीच जो सवाल उठ रहे हैं वो ये है कि आखिर नौबत यहां तक क्यों आई ? क्या उच्च अधिकारी पहले ही इस मामले को नहीं संभाल सकते थे ? यदि यहां गौ आश्रय ही बनाना था तो क्या बजरंग दल और पंचायत की संयुक्त बैठक कराते हुए बात नहीं की जा सकती थी ?


बहरहाल इस मामले में पंचायत , बजरंग दल और प्रशासन के अपने अपने तर्क हैं । प्रशासन का कहना है कि वे सभी अभी ही पोस्टेड हुए है इसलिए पूर्व में क्या हुआ उसकी जानकारी उन्हें नहीं है साथ ही शनिवार को इस प्रकार की कोई गतिविधि पंचायत करेगा इसकी भी जानकारी उन्हें नहीं थी । जबकि पंचायत का स्पष्ट कहना है कि चूंकि ये अनुसुचित जनजाति क्षेत्र आता है और यहां पेसा एक्ट लागू है ऐसे में बिना पंचायत की अनुमति के पंचायत की भूमि पर कैसे कोई काबिज हो सकता है ।

वहीं बजरंग दल के कार्यकर्ताओं का कहना था कि पंचायत की जमीन पर किसी भी प्रकार का कब्जा नहीं किया जा रहा है । उनके द्वारा सड़कों पर बेसहारा व दुर्घटना में घायल पशुओं के उपचार व उनके आश्रय के लिए गौ आश्रय बनाया जा रहा था । लेकिन कुछ लोगों ने पंचायत वालों को गलत जानकारी देकर भड़काया । ये जगह चूंकि पहले भी गौशाला के लिए  काम आ रही थी इसलिए ये उपयुक्त जगह थी और ये शहर से बाहर भी है इसलिए यहां गौवंशो के लिए पर्याप्त चारा और पानी के साथ ही चिकित्सा सुविधा भी मुहैया कराया जा सकता है ।प्रशासन को चाहिए कि अब इस मामले में पंचायत प्रतिनिधी और बजरंग दल के लोगों की एक संयुुक्त समिति बना दे जो नगर के साथ ही गांव के भी आवारा पशुओं की सेवा करे ।

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