बिलासपुरकरगी रोडकोरबाभारतरायपुर

कोटा जनपद शिकायत के बाद जांच तो कराता है लेकिन उसके बाद का काम भूल जाता है ।

करगीखुर्द पंचायत की जांच हुए साल भर हो गए लेकिन कार्यवाही नहीं हुई ।

बुधवार 07.09.2022

Vikash Tiwari
करगीरोड कोटा – कोटा जनपद पंचायत शिकायतों के बाद मामले को ठंडा करने के लिए जांच तो करवा देता है लेकिन उसके बाद जांच रिपोर्ट को पढ़ना और उस पर कार्यवाही करना ही भूल जाता है । ऐसे एक दो नहीं दर्जनों मामलों की फाईलें जांच रिपोर्ट के बाद धुलखाने में लगी हुई है । यदि जनपद पंचायत को जांच रिपोर्ट पढ़ने और उस पर कार्यवाही करने का समय ही नहीं है तो फिर जांच -जांच वाला खेल उसे बंद कर देना चाहिए ।


ऐसा ही एक मामला जनपद पंचायत कोटा के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत करगीखुर्द का है । यहां के कुछ लोगों ने पंचायत के रोजगार सहायक पर भारी आर्थिक अनियमितता का आरोप लगाते हुए जनपद के उच्च अधिकारियों से शिकायत की ।

शिकायत थी कि पंचायत के रोजगार सहायक ने पंचायत के मनरेगा के मस्टर रोल में अपने परिवार के लोगों के नाम दर्ज करते हुए राशि का हेरफेर किया है साथ ही ऐसे लोगों की भी हाजरी भरी गई है जो उस गांव में रहते ही नहीं । शिकायत गंभीर थी इसलिए गंभीरता से लेते हुए अधिकारियों ने एक सहायक लेखा अधिकारी रमाकांत खरे को जांच अधिकारी बना दिया ।

जांच रिपोर्ट प्रतिवेदन

जांच अधिकारी ने 17 अक्टूबर 2011 को पंचायत की जांच की और कई बिंदुओं में आर्थिक अनियमितता को उजागर किया । जांच अधिकारी ने अपने निष्कर्ष में लिखा -’’ ग्राम पंचायत करगीखुर्द के रोजगार सहायक के द्वारा फर्जी हाजरी भरकर तथा अपने रिश्तेदारों के नाम से हाजिरी भरकर राशि का गबन किया जाना पाया गया । सरपंच और सचिव की बिना हस्ताक्षकर के मस्टर रोल जमा करना भी पाया गया । इस प्रकार रोजगार सहायक द्वारा शासन के आदेशों एवं निर्देशों की अवहेलना करने की श्रेणी में आता है इस प्रकार रोजगार सहायक के उपर उचित कार्यवाही किया जाना उचित होगा ।’’

आरटीआई से निकली जांच रिपोर्ट की कहानी ।

इस मामले की जांच और रिपोर्ट जमा किए अब लगभग साल भर हो रहे हैं लेकिन लगता है अधिकारियों ने इस फाईल को देखा तक नहीं या देखा भी तो कार्यवाही ही नहीं किया । साल भर बाद जब कार्यवाही नहीं हुई तो इस पुरी जांच रिपोर्ट की कापी आरटीआई से शिकायतकर्ता ने प्राप्त कर ली ।


लेकिन सवाल यहीं तक नहीं है । इस जांच रिपोर्ट के बाद भी कई सवाल उठते हैं । जैसे जांच अधिकारी ने लिखा है कि मस्टर रोल में सरपंच और सचिव के हस्ताक्षर नहीं होने के बाद भी उसे जमा किया गया । सवाल ये है कि यदि रोजगार सहायक ने ऐसा मस्टर रोल जमा किया जिसमें सरपंच और सचिव के हस्ताक्षर नहीं है तो फिर ये जमा कैसे हो गया ? जिसने जमा लिया क्या उसे नहीं पता कि मस्टर रोल में सरपंच या सचिव के हस्ताक्षर होने चाहिए ? क्या मस्टर रोल जमा लेने वाला भी रोजगार सहायक के साथ मिला हुआ है ? जांच सिर्फ रोजगार सहायक तक क्यों रूक गई ? जनपद में जो आधे अधुरे मस्टर रोल जमा ले रहा है उस पर क्यों कार्यवाही नही हुई ?

ऐसे कई मामले जनपद में है जिनमें जांच तो हुई लेकिन उसके बाद सब सेटल हो गया । जिला पंचायत को एक जांच जनपद पंचायत की भी करा लेनी चाहिए कि यहां के अधिकारी कर क्या रहे हैं ? कितनी जांच रिपोर्ट पर कार्यवाही हुई ? और कितनी जांच रिपोर्ट धुल के निचे दब गई ।

Related Articles

Back to top button