एनटीसीए को बनानी होंगी कुछ बेहतर योजना और सर्वमान्य नियम ।
दबंग न्यूज लाईव
मंगलवार 25.01.2022
Sanjee Shukla
रायपुर – राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (नेशनल टाईगर कंजर्वेशन अथॉरिटी) NTCA के अनुसार, 2021 में भारत में लगभग 126 बाघों की मौत हुई है। बाघों की मौत में मध्यप्रदेश अव्वल रहा जहां 44 बाघों की मौत हुई है । इसके बाद महाराष्ट्र में 26 और कर्नाटक में 14 की संख्या है ।
भारत में पिछले आठ साल में शिकार और अन्य कारणों से 750 बाघ मारे गए हैं। मध्यप्रदेश में सर्वाधिक 173 बाघों की मौत हुई है। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) ने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत पूछे गए सवाल के जवाब में यह जानकारी दी। इन बाघों में से 369 की मौत प्राकृतिक कारणों से हुई और 168 बाघों की मौत शिकारियों द्वारा शिकार किए जाने की वजह से हुई। 70 मौतों के बारे में अभी जांच चल रही है, जबकि 42 बाघों की मौत दुर्घटना और संघर्ष की घटनाओं जैसे अप्राकृतिक कारणों से हुई।
एक समय था जब भारत में बाघों की काफी तादात हुआ करती थी लेकिन समय के साथ साथ आज ये लुप्त होते जा रहे हैं । 2018 में भारत में 2603 से 3346 बाघों की अनुमानित संख्या थी । वर्तमान में भी पूरे विश्व में यदि देखा जाए तो भारत मे ही टाइगर की संख्या सबसे ज्यादा है ।
बाघों की कम होती संख्या को देखते हुए सरकार ने 1973 में टाईगर प्रोजेक्ट की स्थापना की । और इसकी सिफारिश के बाद 2005 में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण) स्थापना हुई । और इसके अलग अलग सेंट्रल , इस्ट और साउथ जोन में कार्यालय बनाए गए । छत्तीसगढ़ को मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के साथ सेंट्रल जोन में रखा गया जिसका रिजनल आफिस नागपूर है ।
छत्तीसगढ़ में अचानकमार टाईगर रिजर्व मुख्य टाईगर रिजर्व है लेकिन यहां भी टाईगर तो छोड़िए अन्य वन्य प्राणियों की सुरक्षा और उनकी संख्या के ईजाफे को लेकर कोई ठोस काम नही हो रहा है । अचानकमार में सबसे बड़ी समस्या वन्य प्राणियों के अवैध शिकार का है जिसके कारण यहां वन्य प्राणियों की संख्या में लगातार कमी आते जा रही है । लेकिन अवैध शिकार को रोकने और शिकारियों पर विभाग कड़ी कार्यवाही नहीं कर पा रहा है ।
पिछले दिनों अचानकमार टाईगर रिजर्व के लगभग तीन सौ दैनिक वेतन भोगी पिछले छह माह से वेतन ना मिलने के कारण हड़ताल पर थे । एक तरफ तो यहां के अधिकारियों के सामने सबसे बड़ी समस्या स्टाफ की कमी का है उस पर भी ऐसे में दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों के भरोसे इतने बड़े एटीआर की सुरक्षा की व्यवस्था की जाती है ।
अचानकमार टाईगर रिजर्व में भी पिछले साल एक नर शावक बच्चे की मौत के बाद मामला गरमा गया था और एटीआर प्रबंधक इस मामले की भनक भी किसी को लगने नहीं दे रहा था । बाद में दबंग न्यूज लाईव ने इस मामले को प्रमुखता से उठाया था । एटीआर प्रबंधन ने मीडिया को भी स्पॉट पर जाने से रोक दिया था । बाद में इस नर शावक की मौत को विभाग ने आपसी झगड़े का नतीजा बताया ।
इन दिनों एटीआर लोगों से बाघ संरक्षण के लिए फंड जुगाड़ने में लगा हुआ है । कल के अंक में इस पुरी योजना और एटीआर की पड़ताल करती खबर पढ़िएगा ।