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Exclusive – आत्ममुग्ध होता कोटा का आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल , ना पानी , ना जगह , ना ही टीचरो की व्यवस्था ।

पिछले दो माह से कई कक्षाएं बंद शिक्षा का हाल बेहाल ।

प्रबंधन को रोटेशन के आधार पर सभी कक्षाओं को संचालित करना चाहिए ।

दबंग न्यूज लाईव
गुरूवार 18.11.2021

विकास तिवारी

करगीरोड कोटा – प्रदेश सरकार ने बड़े जोर शोर से और भारी प्रोपेगंडा के साथ प्रदेश भर में बच्चों की बेहतर शिक्षा के लिए स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम की शुरूवात प्रायवेट स्कूल की तर्ज पर की । शुरूवात में जिस तरह से चांदी के वर्क में लपेट कर इसके प्रोसेस को पूरा किया जा रहा था और इसके बारे में अधिकारी नेता और मंत्री अपनी पीठ थपथपा रहे थे । सत्र खुलने के साथ धीरे धीरे इस स्कूल की अव्यवस्था सामने आने लगी है ओैर लोग का मोह इससे भंग होते जा रहा है ।


कोटा में भी डीकेपी स्कूल में अस्थायी रूप से आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम की कक्षाएं संचालित होने लगी । लेकिन कुछ समय बाद ही जगह की कमी को लेकर अव्यवस्था बढ़ने लगी । पिछले दो तीन माह से तो पहली से चौथी , छठवीं और सातवीं की तो कक्षाएं ही नहीं लग रही है और ये आनलाईन पढ़ाई कर रहे हैं । अब आनलाईन पढ़ाई कैसे होती है ये तो सभी जानते हैं ।


कोटा आत्मानंद स्कूल में जहां प्राथमिक स्तर के बच्चे स्कूलों से दूर हैं वहीं नवमीं और ग्यारवहीं की कक्षाएं हफ्ते में तीन -तीन दिन लग रही हैं । इस अव्यवस्था का कारण स्कूल में बच्चों के बैठने की व्यवस्था नहीं ही नहीं है और स्कूल में अभी जिस तरह से रिपेरिंग का काम चल रहा है उसको देख कर तो लगता नहीं की इस सत्र में पढ़ाई हो पाएगी । स्कूल के कई बच्चों ने स्कूल में बैठने और पीने के पानी की समस्या को बताया । साथ ही स्कूल में शिक्षकों की भी काफी कमी है जिससे बड़ी कक्षाओं की भी पढ़ाई ठीक ढंग से नहीं हो पा रही है । कुछ समय पहले जिला सीईओ ने भी यहां का दौरा किया था लेकिन उसके बाद क्या सुधार हुआ पता नहीं या उन्होंने क्या सलाह दी ये भी नहीं पता ।

स्कूल की प्राचार्या डा अनिता दुबे ने कहा कि – “अभी स्कूल में बच्चों के बैठने के लिए पर्याप्त व्यवस्था नहीं है , कुछ कक्षाओं की रिपेरिंग चल रही है । ऐसे में प्राथमिक स्तर में पहली से चौथी और छठवीं ,सातवीं की कक्षाएं नहीं लग रही है और इन्हें आनलाईन पढाया जा रहा है जबकि नवमी और ग्यारहवी की कक्षाओं को सप्ताह में तीन तीन दिन ही बुलाया जा रहा है ।”

प्रदेश में शिक्षा के स्तर को उंचा करने के लिए सरकार की ये पहल तो अच्छी है लेकिन बेहतर ये होता है कि पहले सरकार पूरी व्यवस्था कर लेती उसके बाद स्कूल का संचालन होता । आधे अधुरे व्यवस्था के साथ बच्चों के भविष्य के साथ ऐसा खिलवाड सरकार को नहीं करना चाहिए ।

कोटा के आत्मानंद स्कूल में यदि बैठने की व्यवस्था नहीं है तो प्रबंधन को चाहिए कि सामने जो भारी भरकम स्कूल का भवन खाली पड़ा है उसमें कक्षाएं संचालित की जाए या फिर रोटेशन से सभी कक्षाओं के बच्चों को स्कूल बुलाया जाए जिससे उनमें स्कूल के प्रति मोह भंग ना हो और वे सप्ताह में भले दो या तीन दिन स्कूल जाएं लेकिन जाकर कुछ तो पढ़ें ।

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