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कांग्रेस कोटा विधान सभा तो जीत गई लेकिन कोटा नगर में क्यों हार गई ?

एक विश्लेषणात्मक खबर ।

दबंग न्यूज लाईव
07.12.2023

करगीरोड कोटा – प्रदेश में विधानसभा का चुनाव सम्पन्न हो गया । भाजपा ने अप्रत्याशित रूप से प्रदेश में अपनी सरकार बना ली । मतदान के बाद तमाम सर्वे ,एक्जिट पोल और पार्टीयों के आंकलन के बाद ये लगने लगा था कि प्रदेश में एक बार फिर कांग्रेस की सरकार बनने वाली है लेकिन जैसे ही मतगणना शुरू हुई सारे राजनैतिक पंडितो की भविष्यवाणी और सर्वे रिपोर्ट चारो खाने चित्त हो गई।

जनता ने कांग्रेस की जगह बड़े अंतर से प्रदेश की कमान भाजपा को सौंप दी । अपनी हार का आंकलन कांग्रेस जरूर करेगी कि उससे कहां और कैसी चुक हो गई , इस बीच कोटा विधानसभा में भाजपा को एक बार फिर निराश होना पड़ा यहां से कांग्रेस ने अपनी खोई सीट प्राप्त कर ली लेकिन सवाल ये उठने लगा कि कांग्रेस ने कोटा विधानसभा तो जीता लेकिन कोटा शहर में उसकी हार क्यों हो गई ?

कोटा नगर पंचायत के पंद्रह वार्डो के मतदाताओं के लिए बुथ क्रमांक 181 से लेकर 194 चौदह पोलिंग बुथ बनाए गए थे । चुनाव प्रचार के समय जिस प्रकार से कोटा में माहौल था उससे लग रहा था इस बार कोटा शहर में कांग्रेस को अच्छी खासी बढ़त प्राप्त होगी । लेकिन कोटा नगर के 14 बूथों से जब आंकड़े सामने आए उसने शहर में कांग्रेस की स्थिति को सामने ला दिया । कोटा नगर पंचायत में एक बार फिर से भाजपा ने बाजी मार ली । कोटा नगर पंचायत में कांग्रेस को कुल मिला कर 3408 जबकि भाजपा को 5897 व्होट प्राप्त हुए भाजपा कांग्रेस से सौ दो सौ नहीं पूरे 2489 व्होटों से आगे रही । ऐसे आंकड़ों की उम्मीद कम से कम कांग्रेस को नहीं रही होगी । कांग्रेस को सिर्फ एक बुथ पर 6 वोटों की बढ़त मिली ।


इस पूरे चुनाव में कोटा नगर में तीनों पार्टीयों का आंकलन किया जाए तो एक बात समझ में आई कि कांग्रेस और जनता कांग्रेस में कार्यकर्ताओं की काफी कमी रही । जनता कांग्रेस तो खैर रेस में थी ही नहीं लेकिन कांग्रेस में कार्यकर्ताओं से ज्यादा नेताओं की फौज दिखी और चुनाव नेता नहीं कार्यकर्ता जिताते हैं । भाजपा के पास शहर में नेता कम और कार्यकर्ता ज्यादा थे उन्होंने हर वार्ड में घर घर जाकर लामबंदी की जबकि कांग्रेस के पास कार्यकर्ता से ज्यादा नेता थे जो जमीन पर काम करने की बजाय प्रत्याशी के साथ ही घुमते रहे जिससे शहर में कांग्रेस की ये हालत हुई ।


नगर में कांग्रेस के प्रचार की कमान थामे कई नेता नजर आते थे जबकि भाजपा की तरफ से दो चार नेता ही नजर आए भाजपा यहां झंडे बैनर और हो हल्ला छोड़कर घर घर अपने प्रचार और भाजपा के पक्ष में माहौल बनाते नजर आई जबकि कांग्रेस रैली , प्रचार और झंडे बैनरों तक सीमित रही ।


खैर चुनावों के समय ये सब होते रहता है कांग्रेस को बधाई जो उसने पूरजोर मेहनत करते हुए एक बार फिर से अपने गढ़ में वापसी की ।आने वाले लोकसभा और नगरीय निकाय के चुनाव में यदि कांग्रेस को कुछ अच्छा रिजल्ट प्राप्त करना है तो उसे कार्यकर्ताओं की फौज बढ़ानी होगी जो एक एक वार्ड में उनकी बात लोगों तक पहुंचा सके ।

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