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अजीत जोगी एक जन नेता -पार्ट 03 2004 और अजीत जोगी ।

जब अजीत जोगी ने कहा उन पर किया गया है जादूटोना ।

दबंग न्यूज लाईव
शुक्रवार 15.05.2020

 

Sanjeev Shukla

दबंग न्यूज लाईव के खास सीरीज अजीत जोगी एक जन नेता के पार्ट 01 और पार्ट 02 को आपने खासा पसंद किया । काफी लोगों के संदेश आए । कई लोगों ने अपने संस्मरण भी भेजे हैं समय पर उसे भी प्रकाशित किया जाएगा । आज के तीसरे अंक में पढ़िए अजीत जोगी और 2004 ।

 

 

छत्तीसगढ़

अजीत जोगी के जीवन में सन 2004 बहुत संकट का समय लेकर आया । सन् 2004  देश में लोकसभा के चुनाव होने थे । इसी समय प्रदेश में एक बड़ा राजनैतिक उलट फेर हुआ । कांग्रेस के दिग्गज नेता विद्याचरण शुक्ल अपनी अलग पार्टी एनसीपी बना चुके थे । लेकिन 2004 में विद्याचरण शुक्ल ने महासमुंद से भाजपा की टिकट पर लोकसभा का पर्चा दाखिल कर दिया ।

इसी समय उनको चुनौति देने कांग्रेस से अजीत जोगी ने भी अपना पर्चा महासमुंद से भर दिया । अब लड़ाई दो दिग्गज कांग्रेसियों के बीच हो गई । भाजपा दोनो ही स्थिति में बेहतर पोजिशन में थी । यदि विद्याचरण शुक्ल जीत जाते तो लोकसभा में भाजपा की एक सीट और बढ़ जाती और यदि हार जाते तो भाजपा में उनका कैरियर खतम हो जाता । भाजपा के कई दिग्गज नेता चाहते भी यही थे कि विद्या भईया चुनाव हार जाए ।


महासमुंद संसदीय क्षेत्र विद्याचरण शुक्ल की पसंदीदा सीट थी । यहां से वे सबसे पहली बार 1957 में कांग्रेस की टिकट पर सांसद का चुनाव लड़कर संसद पहुंचने वाले सबसे युवा सांसद थे इसके बाद वे नौ बार इस सीट से सांसद रह चुके थे । ऐसे में उनको उन्हीं की सीट पर टक्कर देना कोई बच्चों का खेल नहीं था । अजीत जोगी भी ये जानते थे लेकिन 2003 के विधानसभा में सत्ता गंवाने का मलाल शायद उनके मन में रहा हो ।


2004 शायद अजीत जोगी कभी ना भूले । लोकसभा के चुनाव प्रचार की गहमा गहमी । दिन से रात और रात से दिन कब हो रहे थे पता नहीं । सभी की नजर प्रदेश की बाकी सीटों से ज्यादा महासमुंद सीट पर थी । यहां का पारा आसमान छू रहा था । क्योंकि यहां थे दो दिग्गज विद्याचरण शुक्ल और अजीत जोगी ।

ग्यारह अप्रेल सुबह के लगभग साढ़े तीन बजे का समय । अजीत जोगी चुनाव प्रचार करने के बाद वापस लौट रहे थे । इस समय उनके साथ कांग्रेस के प्रदेश सचिव एम एल साहू भी थे । पिछे पिछे उनके सुरक्षा गार्ड दुसरी कार में थे । अचानक वो हादसा होता है जिसने सबको झकझोर दिया । रायपुर से एक सौ तीस किमी दूर गरियाबंद के पास अजीत जोगी की गाड़ी सड़क किनारे एक पेड़ से टकरा जाती है ।


सुरक्षाकर्मी किसी तरह उन्हें बाहर निकालते हेैं और तत्काल अस्पताल में भर्ती कराते हैं । दुर्घटना इतनी भयंकर थी कि इसके बाद अजीत जोगी चाह कर भी अपने पैरो पर खड़े नहीं हो सके और उसके बाद व्हील चेयर ही उनके पैर हो गए । लेकिन इस हादसे के बाद भी जोगी रूके नहीं । इस दुर्घटना के बाद अजीत जोगी ने सिर्फ ये कहा कि किसी ने उनके लिए जादू टोना करवाया था ।


2004 के लोकसभा चुनाव के नतीजे आए और अजीत जोगी भाजपा के विद्याचरण शुक्ल को हराते हुए संसद पहुंचे । 2004 में प्रदेश से वे अकेले कांग्रेस के सांसद थे ।

2003 के बाद से प्रदेश में भाजपा ने अपना खूंटा गाड़ दिया । और डा रमन सिंह के नेतृत्व में सत्ता पर कब्जा करते रहे । इसी दौरान एक बार फिर से कांग्रेस ने आत्ममंथन किया और सभी दिग्गजों को एक छत के नीचे लाने का काम शुरू हुआ । ये प्रयाास सफल भी रहा जब दिग्गज विद्याचरण शुक्ल वापस कांग्रेस में आ गए । अब 2013 में विधानसभा के चुनाव होने थे । ऐसे में सभी कांग्रेसी एक जुट होने लगे और एक बड़े कार्यक्रम की रूपरेखा बनने लगी ।


कांग्रेस ने भाजपा को प्रदेश की सत्ता से हटाने के लिए प्रदेश भर में परिवर्तन यात्रा शुरू करने की योजना बनाई और इसकी शुरूवात की बस्तर के सुकमा से । इस बीच वो घटना घट गई जिसने प्रदेश के साथ पूरे देश को हिला दिया ।

तारीख थी 25 मई 2013 ( याने आज जब ये लिखा जा रहा है तो आज से दस दिन बाद वो दिन आएगा ) इस दिन कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा की सभा हुई सुकमा जिले में  । काफी अरसे बाद ये समय था जब कांग्रेस के सभी दिग्गज एक साथ एक मंच पर थे । यहां की सभा समाप्त हुई तो सभी यहां से जगदलपुर के लिए निकल गए । अजीत जोगी हेलीकाप्टर से निकले और बाकी लोग सड़क मार्ग से जगदलपुर के लिए निकले।

शाम के चार बज रहे थे जब कांग्रेस का काफिला झिरम घाटी पहुंचा और अचानक कई सौ नक्सलियों ने इस काफिल पर हमला कर दिया ।

इस हमले ने प्रदेश से कई दिग्गज नेताओं को छिन लिया । कांग्रेस के पूर्व मंत्री और दिग्गज विद्याचरण शुक्ल , प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष नंदकुमार पटेल और उनके बेटे , बस्तर टाईगर महेन्द्र कर्मा और पूर्व विधायक उदय मुदलियार सहित पैंतिस नेता कार्यकर्ता इस हमले में शहीद हो गए । शायद ये देश का ऐसा पहला हादसा हो जिसमें इतनी बड़ी संख्या में किसी पार्टी ने अपने शिर्ष नेताओं को खोया हो ।

2014 के बाद लगने लगा था कि अजीत जोगी अब कांग्रेस में नहीं रह पाएंगे और उनका मंशा कुछ और है । क्या थी उनकी मंशा और उनकी इस मंशा ने प्रदेश की राजनीति पर क्या असर डाला । 2014 के बाद से 2020 तक का घटनाक्रम अजीत जोगी एक जननेता के अंतिम पार्ट 04 में कल पढ़िएगा जरूर ।

 

 

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