मानसून सत्र में उठा हर मुद्दा लेकिन कोटा में पिछले तीन साल से बन रही आधी अधुरी एडीबी की सड़क का मुद्दा नहीं उठ पाया ।
सौ करोड़ से उपर की रोड को खा गए अधिकारी और ठेकेदार ।
किसी ने नहीं लिया अभी तक संज्ञान । ठेकेदार आधी रोड बनाकर गायब ।
नगर के जनप्रतिनिधी भी लापरवाह तो अधिकारी लिपा पोती में लगे ।
दबंग न्यूज लाईव
शुक्रवार 28.08.2020
करगीरोड – प्रदेश में विधानसभा के मानसून सत्र का आज अंतिम दिन है । इस दौरान कई मुद्दे सदन में उठे विपक्ष ने सवाल किया पक्ष ने जवाब दिया कुछ में त्वरित कार्यवाही भी हुई जैसे अचानकमार के मामले में वनमंत्री ने विधायक धर्मजीत सिंह सवालों के बाद रेंजर को निलंबित कर जांच की बात कही ।
लेकिन सदन में एक बहुत महत्वपूर्ण मुद्दा उठने से रह गया जिसे उठना था । ये मुद्दा है रतनपुर से लोरमी तक बन रही लगभग 56 किमी की सड़क का । जिसे एडीबी सौ करोड़ से भी उपर के बजट से बना रही थी ।रतनपुर से लोरमी तक बनने वाली ये सड़क अब तक बनकर पूरी हो जानी थी । लेकिन ये सड़क तीन साल बाद भी आधी अधुरी है । रो धो कर ठेकेदार ने जयस्तम्भ चैेक से थाने तक की सड़क बनाई और उसके आगे के लिए हाथ खड़े कर दिए । कोटा से रतनपुर के बीच में भी कई जगह सड़क आधी अधुरी ही बनी है ।
एडीबी के अधिकारी तीन साल क्या करते रहे पता नहीं । सड़क को पूर्ण कराने में उनकी इच्छा कहीं भी नहीं दिखी । हद तो ये हो गई कि शहर के अंदर के हालात और खराब हो गए ।
पिछले दस साल से नगर में भाजपा की सत्ता है लेकिन कभी भाजपा ने इस मुद्दे पर कोई आंदोलन या धरना नहीं दिया । माना 2018 के पहले उनकी सरकार थी इसलिए इस मुद्दे पर वे चुप रहे लेकिन पिछले दो सालों से भी वे कोमा में ही है । नगर के भीतर की सड़क का हाल आधा एडीबी ने खराब किया आधा पाटिल इंफ्रोस्ट्रचर की गाड़ियों ने लेकिन मजाल है नगर के नेताओं ने कभी दो शब्द बोला हो । पहले कांगे्रसी कहते थे भाजपा की सरकार है क्या कर सकते हैं अब भाजपाई बोलते हैं कांग्रेस की सरकार है और विधायक जनता कांग्रेस का ऐसे में हम क्या कर सकते हैं । याने सब मिलकर फूटबाल खेलो कोटा की जनता तो है मैच देखने के लिए ।
इस मामले को कोटा विधायक डा रेणु जोगी सदन में उठा सकती थी और सवाल कर सकती थी कि आखिर पिछले तीन साल से उनके विधानसभा में एडीबी के द्वारा बन रही सड़क का हाल क्या है ? क्यों तीन साल बाद भी ये सड़क पूर्ण नहीं हुई ? आखिर सौ करोड़ से ज्यादा का बजट कहां गया ? यदि अधिकारियों ने काम नहीं किया तो उन पर क्या कार्यवाही हुई और यदि ठेकेदार ही भाग गया तो क्या उसे ब्लेक लिस्टेड किया गया ? आखिर इस आधी अधुरी सड़क को अब क्या होगा ?
लेकिन दुर्भाग्य की कोटा के विकास की ये बातें ना सदन में नहीं उठ सकी और ना ही स्थानीय नेता सड़कों पर उठा पाए ।