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अब पंचायत सचिव हकालही गरूवा , यही बुता बाकी रहिस ।

राज्य शासन के गौठान संबंधी इस आदेश के बाद प्रदेश भर में सचिवों को मिला नया काम ।

मवेशी मालिक मौज करें उनके लावारिश पशुओं का पुरा जिम्मा सरकार उठा लेगी ।

दबंग न्यूज लाईव
रविवार 16.08.2020

 

Sanjeev Shukla

रायपुर प्रदेश सरकार के द्वारा जारी एक आदेश के बाद अब सड़क मे घुम रहे आवारा पशुओं को गोठान तक पहुंचाने की जिम्मेदारी पंचायत के सचिवों को दी गई है । याने अब यदि पंचायत की सड़कों पर गाय गरूवा नजर आए तो सचिव की ये जिम्मेदारी होगी कि वो अपनी गाड़ी किनारे खड़ी करें , पंचायत बाद में जाए पहले सभी जानवरों को गांव से दूर बने गोठान तक सुरक्षित छोड़कर आए । ( लेकिन शहर की व्यवस्था कैसे बनेगी क्या नगर पंचायत सीएमओ को ये जिम्मेदारी दी जाएगी ?)

गोठान समिति ऐसे जानवरों को दिन और रात गोठान में रखेंगे और ऐसे जानवरों के गोबर पर जानवरों के मालिक का नहीं गोठान समिति का स्वामित्व होगा । राज्य शासन से निकले इस आदेश का मजमून कमोबेश ऐसा ही है ।


याने जिसके जानवर हैं वो मजे में है उसके जानवरों की रखवाली , दाना पानी सबकी व्यवस्था गौठान समिति करे और उन्हें चराने का काम कई जरूरी काम छोड़कर पंचायत के सचिव करें ।

14 अगस्त को निकले इस आदेश के अनुसार अब गौठान में रात को भी जानवर रखे जाएंगे । गौठान में खुले में विचरण करने वाले पशुधन को रखा जाएगा । पशुधन के देख रेख की जिम्मेदारी गोठान समिति की होगी और इससे प्राप्त गोबर पर गौेठान समिति का स्वामित्व रहेगा । खुले में घुमने वाले पशुधन को गोठान में पहुंचाने की जिम्मेदारी पंचायत के सचिव की होगी । इनके ईलाज की जिम्मेदारी पशुधन विकास विभाग की होगी । और गौठान में चारे की व्यवस्था की जिम्मेदारी गोैठान समिति की होगी ।

इस पूरे आदेश में दूध का कोई जिक्र नहीं है क्या गोैठान समिति दूध दुह सकती है ? क्या गौठान में दुहे गए दूध पर गौठान समिति का स्वामित्व होगा ? या फिर क्या दूध दुह के मवेशी मालिक के यहां पहुंचाना पड़ेगा इस बारे में कोई जिक्र नहीं है ।

पशु पालन करने वाले मौज करें मस्त रहे अब उन्हें इस बात से छुटकारा मिल रहा है कि उनके मवेशी किसी के खेत में घुस जाएं तो जिम्मेदारी उनकी नहीं , उनके पशु बिमार पड़ जाएं तो ईलाज की जिम्मेदारी उनकी नहीं , उनके मवेशी भुखे मरें तो जिम्मेदारी गोठान समिति की और पंचायत की , अब मवेशी मालिकों को चारे दाना पानी का इंतजाम नहीं करना पड़ेगा सब व्यवस्था गोैठान में हो जाएगी ।


सरकार को गोबर और नीजि पशुओं पर ध्यान देने की जगह प्रदेश की अर्थव्यवस्था , नौकरी ,रोजगार ,शिक्षा और स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहिए ना कि नीजि पशुओं पर प्रदेश का बजट खर्च करना चाहिए । यदि मवेशीयों को खुले में घुमने से रोकना है तो उपर जारी किए आदेश कोई काम नहीं आने वाले हैं । सरकार को सिर्फ एक आदेश पारित करना चाहिए कि यदि एक भी जानवर खुले में सडक में नजर आए तो उनके मालिकों पर कार्यवाही की जाएगी ये कार्यवाही आर्थिक और सजा दोनों के रूप में हो सकती है ।

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