849 पदों पर हुई थी कई अनियमितताओं के साथ भर्ती ।
2014 में स्थानीय कांगे्रसी नेताओं ने मामले को लेकर दिया था धरना लेकिन अब सब शांत ।
आरटीआई का जवाब देने की बजाय सहायक आयुक्त का अजीबो-गरीब पत्र ।
दबंग न्यूज लाईव
मंगलवार 01.09.2020
जगदलपुर – सन् 2014 याने आज से लगभग छह साल पहले । प्रदेश में भाजपा की रमन सरकार । इस समय बस्तर में 849 चतुर्थ श्रेणी के पदो पर आदिम जाति कल्याण विभाग से सीधी भर्ती का विज्ञापन निकला । इन पदों में 199 नियमित , 464 आकस्मिक निधी तथा 186 पूर्ण कालिक स्वीपर के पद थे । कई नियमावलियों के साथ विज्ञापन में साफ साफ लिखा होता है कि इन पदों पर सिर्फ बस्तर के युवा ही आवेदन कर सकते हैं । हजारों युवाओं को सरकारी नौकरी मिलने की आस जगी ।
सीधी भर्ती के नियमों में एक नियम यह भी था कि जो पहले से विभाग में कार्यरत चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी हैं उन्हें बिना कुछ किए ही 40 प्रतिशत अंक दिए जाएंगे । हजारों लोगों ने भर्ती के लिए फार्म भरे परीक्षा हुई रिजल्ट आया लेकिन रिजल्ट में जिन्हें कम नम्बर मिले वे नियमित हो गए और जो मेरिट में आए उन्हें आकस्मिक निधी दर पर रख लिया गया । और ऐसा सब हुआ विभाग में पूर्व से काम कर रहे लोगों को 40 प्रतिशत तक बोनस अंक देने के कारण ।
इस समय विपक्ष में कांग्रेस थी और यहां कांग्रेस ने कई दिनों तक इस मुद्दे पर धरना दिया , आंदोलन किया । लेकिन अपने यहां तब तक कोई कार्यवाही और जांच नही होती जब तक स्वयं सरकार ना चाहे या सदन में सवाल ना उठे । यहां भी ऐसा ही हुआ । धरना ,प्रदर्शन ,आंदोलन सब शांत हो गया । 2014 से अब 2020 आ गया । प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुआ अब कांग्रेस की सरकार है । 2014 में आंदोलन धरना करने वाले कांग्रेस के नेता अब अपनी सरकार से कहें कि बस्तर में 2014 में युवाओं के साथ जो अन्याय हुआ है उसकी जांच की जाए । सीधी भर्ती प्रक्रिया में हुई धांधली की उच्च स्तरीय जांच करवाई जाए और दोषियों पर कार्यवाही हो ।
इस बीच प्रभुनाथ पाणीग्रही जो स्वयं इस परीक्षा में पास हुए थे ने से सूचना के अधिकार के तहत जानकारियां मांगना शुरू किया तो कई चोैंकाने वाले तथ्य सामने आए । सूचना के अधिकार के तहत समस्त उत्तर पुस्तिकाओं का अवलोकन करने पर सामने आया कि जिन्होंने परीक्षा ही नहीं दी उन्हें भी योग्य घोषित करते हुए भर्ती कर लिया गया है। प्रभुनाथ पाणीग्रही ने जो अवलोकन किया उसके अनुसार 58 प्रतिभागियों के उत्तर पुस्तिका में डबल टिक किए गए थे जबकि नौ लोगों के नम्बर बढ़ाए गए थे और 13 लोगों के नम्बर कम किए गए थे । इसके अलावा एक अभ्यर्थी अंगुठा छाप भी था । जबकि आठ लोगों ने उत्तर पुस्तिका ही जमा नहीं किया ।
हद तो ये हो गई कि सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगने पर सहायक आयुक्त नाराज हो गए और प्रभुनाथ पाणीग्रही के लिए 07.11.2019 को एक पत्र जारी किया जिसमें कहा गया कि आपके द्वारा बेवजह परेशान करने के लिए अनावश्यक पत्र व्यवहार किया जा रहा है । आपके द्वारा सत्यापित छायाप्रति मांग कर सहायक आयुक्त और कार्यालय को परेशान किया जा रहा है ।
याने सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगना भी अब अधिकारियों को खलने लगा । प्रदेश सरकार को चाहिए कि 2014 में जो सीधी भर्ती बस्तर के युवाओं के लिए हुई थी उसकी जांच करवाएं क्योंकि इस भर्ती में बड़े पैमाने पर नियमों को ताक पर रखकर भर्ती की गई है । अयोग्य और अपात्र लोग सेवा में आ गए और जिन्हें नौकरी मिलनी थी वे बाहर अपनी मजबूरी पर रो रहे हैं ।
जानकारी ये भी प्राप्त हो रही है कि विभाग ने अपनी जांच पूर्ण कर ली है लेकिन अभी तक उस जांच के पिटारे से कुछ निकला नहीं है । देखना होगा जांच रिपोर्ट में क्या सामने आता है ।